ग्रामीण जीवन का हिस्सा
कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सहकारिता अत्यंत प्रभावी संस्था मानी जाती है। सहकारी समितियां ऋण प्रदान करके इनपुट व आउटपुट बाजार और कृषि आय बढ़ाकर कृषि क्षेत्र को लाभ पहुंचा सकती हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दो तिहाई से अधिक हिस्सा गैर-कृषि है जिसमें मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), व्यापार और दुकानें आदि शामिल हैं।
नवीनतम राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस 2020-21) से पता चलता है कि 47 प्रतिशत आय कृषक परिवार गैर-कृषि स्रोतों से आते हैं। इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए भी सहकारिता की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि सरकार सहकारी समितियों को ग्रामीण जीवन का मजबूत हिस्सा बनाने के लिए काम कर रही हैं। इसके मद्देनजर दूध तथा चीनी उत्पादन जैसे क्षेत्रों में पहचान बनाने के बाद अब कृषि और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में तेजी लाई जा रही है। प्रधानमंत्री ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विकसित भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों से बातचीत की।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी। वह इस यात्रा के लाभार्थियों के साथ नियमित संवाद कर रहे हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा पूरे देश में सरकार की प्रमुख योजनाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है, ताकि इन योजनाओं का लाभ समयबद्ध तरीके से सभी लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे। निश्चित रूप से यह जनसंपर्क अभियान सिर्फ पिछले नौ सालों की उपलब्धियों से संबंधित है।
विपक्ष का आरोप है कि इस अभियान का समय सुविधाजनक तरीके से आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है। सुखद संकेत है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने और गांवों में महिलाओं को स्वरोजगार देने के लिए केंद्र सरकार बहुत बड़ा अभियान चला रही है। बीते वर्षों में देश में लगभग 10 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने आज घोषणा की कि इस अभियान को और विस्तारित करने के लिए उन्होंने अगले तीन वर्षों में दो करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य रखा है।
ध्यान रहे सहकारी समितियां ग्रामीण जीवन का मजबूत हिस्सा हैं। कई स्थानों पर कृषि मशीनरी और कृषि कार्यों के लिए छोटे धारकों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सहकारी समितियां कृषि सेवा केंद्र के रूप में काम करती हैं। वास्तव में सहकारी समितियां कृषि क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और समितियों को बड़े परिप्रेक्ष्य से देखने की जरूरत है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सहकारी समितियां भारत में ग्रामीण जीवन का एक मजबूत पहलू बनकर उभरें।
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