बरेली: मार्च तक कचरा मुक्त नहीं हो पाएगा शहर, बाकरगंज में एक प्लांट ठप
दो महीने से हर घंटे 50 टन कचरा निस्तारण का प्लांट बाकरगंज में लगा लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं होने से बंद

फोटो- बाकरगंज ढ़लाव पर लगा ज्यादा क्षमता बाला कूड़ा निस्तारण प्लांट।
बरेली, अमृत विचार। शहर को मार्च 2024 तक कचरा मुक्त करने का दावा किया जा रहा है लेकिन ऐसा होना मुश्किल है। कचरा मुक्त करने के लिए नगर निगम ने बाकरगंज में प्लांट लगाया है लेकिन अभी तक इसकी बिजली कनेक्शन ही नहीं हुआ है। ऐसे में प्लांट कब चलेगा, यह भी कहना मुश्किल है।
शहरी आवास मंत्रालय ने शहरों को मार्च 24 तक कचरा मुक्त करने का लक्ष्य दिया है। नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने इसे गंभीरता से लिया। बाकरगंज डलावघर में जमा 5 लाख 75 हजार टन कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए प्लांट लगाया। इस प्लांट में हर महीने 600 टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है।
इसके बाद 1200 टन प्रतिमाह का प्लांट लगाने का रास्ता साफ हुआ। अगस्त 23 की शुरुआत में कंपनी ने यहां मशीनें लाकर 10 दिनों में उसे स्थापित भी करवा दिया लेकिन तब से यह प्लांट चालू नहीं हो सका। नगर निगम ने प्लांट में ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने के लिए बिजली विभाग से पत्राचार किया और सभी कार्रवाई पूरी कर करीब एक महीने पहले 26 लाख रुपये भी जमा कराए लेकिन अभी तक प्लांट में ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि या नया ट्रांसफार्मर लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
सूत्र बताते हैं कि डेढ़ साल पहले बाकरगंज में 5 लाख 75 हजार टन कूड़े का पहाड़ था। मौजूदा लगे प्लांट से एक साल 9 महीने में लगभग 3 लाख टन कूड़े का निस्तारण कर दिया गया है। इस तरह बाकरगंज में 2 लाख 75 हजार टन कूड़ा बचा है। इस बीच शहर से निकलने वाला लगभग 400 टन कूड़ा प्रतिदिन आने से यहां लगभग ढाई लाख टन कूड़ा आ गया। इससे डलावघर में 5 लाख टन से ज्यादा का कूड़ा फिर से एकत्र हो गया है।
कूड़ा निस्तारण करने की एजेंसी के जीएम शुभम श्रोतिया के मुताबिक दो महीने से मशीनें नहीं चल रही हैं, इससे घाटा हो रहा है। प्लांट चलता तो अब तक एक लाख टन कूड़ा निस्तारित हो चुका होता। अब मार्च- 24 तक कूड़े का पहाड़ खत्म होना मुश्किल लग रहा है। कब बिजली लगेगी और कब प्लांट चालू होगा इसका कुछ पता नहीं है। यदि जुलाई में बारिश में हो गई तो कूड़ा भीगने से निस्तारण क्षमता प्रभावित होगी। इस संबंध में नगर निगम के पर्यावरण अभियंता राजीव राठी से बात करनी चाही लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
कूड़ा निस्तारण की यह है प्रक्रिया
बाकरगंज में लगे कूड़े के पहाड़ को काटकर उसे तिकोने आकार में रखा जाता है। इसे विड्रों की प्रक्रिया कहते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि कूड़े में हर तरफ से हवा मिले। फिर कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध और गैस को दूर करने के लिए इसमें जैविक रसायन का छिड़काव किया जाता है। इसके पहले कूड़े के पहाड़ को दो भागों में बांट लेते हैं।
मौजूदा कंपनी को ही क्षमता बढ़ाने की मिली अनुमति
कूड़े का निस्तारण करने के लिए प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए निगम ने टेंडर निकाले थे लेकिन ऑनलाइन टेंडर लेने के लिए कोई फर्म सामने नहीं आई। ऐसे में एक बार समय बढ़ा दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि मौजूदा समय में काम कर रही संस्था को ही प्लांट की क्षमता बढ़ाने को कहा गया है। संस्था भी क्षमता बढ़ाने को तैयार हो गई है। सूत्रों ने बताया कि लगभग 1700 टन प्रति दिन कूड़ा निस्तारण करने पर मार्च तक इस लक्ष्य को पाया जा सकता है।
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