Chitrakoot: ... तो विभागीय खींचतान की वजह से बन गया बेतरतीब नाला, एनओसी का चक्कर, जहां मिली जगह वहीं से बना डाला

चित्रकूट में विभागीय खींचतान की वजह से बन गया बेतरतीब नाला।

Chitrakoot: ... तो विभागीय खींचतान की वजह से बन गया बेतरतीब नाला,  एनओसी का चक्कर, जहां मिली जगह वहीं से बना डाला

चित्रकूट में बेड़ी पुलिया से लेकर पुलघाट तक राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर बन रहे बहुचर्चित नाले को लेकर दो विभागों की बातों में विरोधाभास की स्थिति नजर आ रही है। दोनों विभागों के जिम्मेदार अपनी अपनी बात पर डटे हैं।

चित्रकूट, अमृत विचार। बेड़ी पुलिया से लेकर पुलघाट तक राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर बन रहे बहुचर्चित नाले को लेकर दो विभागों की बातों में विरोधाभास की स्थिति नजर आ रही है। दोनों विभागों के जिम्मेदार अपनी अपनी बात पर डटे हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर एनएच अथारिटी द्वारा नाला निर्माण कराया जा रहा है। राजमार्ग खंड लोनिवि बांदा के एक्सईएन के अनुसार, इसके अनुबंध की लागत 7.18 करोड़ रुपये है। जब से यह निर्माण शुरू हुआ, तब से ही इस पर सवालिया निशान लगने लगे।

मानक के अनुरूप निर्माण न होना, निर्माण सामग्री का कम इस्तेमाल आदि बातें तो हवा में तैरी हीं, साथ ही जो सबसे बड़ी आपत्तिजनक और आश्चर्यजनक बात हुई, वह थी नाले की डिजाइन। कहीं सीधा और कहीं टेढ़ा नाला बनाया गया। विभाग द्वारा इसको लेकर सफाई यह दी गई कि वन विभाग से अनापत्ति न मिलने की वजह से ऐसा हुआ। उधर, वन विभाग के अधिकारियों का कुछ और कहना है। 

... तो ये जवाब हैं अलग-अलग विभागीय अधिकारियों के

गौरतलब है कि 'अमृत विचार' ने अपने 13 अक्टूबर के अंक में ' भइया...इससे अच्छा तो न बनाया जाता यह नाला' शीर्षक से नाला निर्माण के संबंध में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अनुज सिंह यादव ने इस समाचार को अपने एक्स हैंडल पर ट्वीट किया था। इस पर अधिशासी अभियंता रा.मा. खंड लोनिवि बांदा द्वारा जवाब दिया गया। इसमें बताया गया कि जिले में रा.मा.35 पर बेड़ी पुलिया से पिपरावल नाला तक मार्ग के दोनों ओर आवश्यकतानुसार नाला निर्माण व इंटरलाकिंग टाइल लगाने का काम कराया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि अनुबंध व ड्राइंग के अनुसार मुख्य मार्ग के किनारे से 2.5 मीटर चौड़ाई में इंटरलाकिंग व एक गुणे एक आकार की नाली का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें 10एमएम व आठ एमएम की सरिया का प्रयोग किया जा रहा है। बताया कि यथासंभव नाली को सीधा ही बनाया जा रहा है पर मार्ग के किनारे से लगभग चार मीटर की दूरी के अंदर कुछ स्थानों पर हरेभरे मोटे पेड़ हैं, जिनको बचाने की वन विभाग द्वारा प्रदत्त अनापत्ति पत्र की प्रमुख शर्त है।

इसके कारण नाली की दिशा कहीं कहीं पर परिवर्तित हुई है एवं रोड की ओर नाली को बनाने से शोल्डर की चौड़ाई 2.50 मीटर से कम रह जाती है। इससे आवागमन में बाधा हो सकती है। उधर, जब इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी पीके त्रिपाठी से बात की गई तो उनहोंने बताया कि सड़क पर लगे पेड़ों को कटाने के लिए एनओसी एनएच अथारिटी ने मांगी तो थी, पर इनके बदले उन हरे विशालकाय पेड़ों की भरपाई नहीं कर रही थी। हमने काफी दिनों तक इंतजार किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। बताया कि फिर एक दिन मैसेज आया कि हमें कोई एनओसी नहीं चाहिए, हम नाला बना लेंगे।  हमने भी कह दिया बनाओ लेकिन पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

जहां क्षतिग्रस्त वहां बनेगा

गौरतलब है कि नाला बनने के बाद कई जगह से क्षतिग्रस्त भी हो गया। इस संबंध में एक्सईएन ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान भारी वाहनों से जहां जहां नाला क्षतिग्रस्त हुआ है, उसकी मरम्मत के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है। हालांकि फिलहाल ऐसा नजर नहीं आ रहा।