Kanpur News: पद्मविभूषण रामभद्राचार्य की कथा शास्त्रीनगर में कल से, CM Yogi भी आ सकते है
पद्मविभूषण रामभद्राचार्य की कथा शास्त्रीनगर में कल से।

पद्मविभूषण रामभद्राचार्य की कथा शास्त्रीनगर में कल से है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आ सकते है। आयोजकों ने करौली सरकार संतोष भदौरिया को विशिष्ट अतिथि बनाया।
कानपुर, अमृत विचार। पद्मविभूषण रामभद्राचार्य के श्रीमुख से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा पाठ शास्त्रीनगर बड़ा सेंटर पार्क पर सात अक्टूबर से होगा। कथा के दौरान एक दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बागेश्वरधाम के धीरेंद्र शास्त्री भी कथा श्रवण को आएंगे। भक्तों के बीच गुरुजी कहे जाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट स्थित विकालंग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। दो वर्ष की आयु में दृष्टिहीन होने के बाद वह प्रज्ञाचच्छु हैं। वेद पुराण उपनिषद पर उनका ज्ञान लोगों को अचम्भित कर देता है।
पद्मविभूषण रामभद्राचार्य
कथास्थल पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए आयोजक संस्था रामाभिराम सेवा संस्थान के अध्यक्ष अमित झा और क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र मैथानी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री श्रीमदभागवत कथा में एक दिन आ सकते हैं। इसके अलावा कानपुर में करौली सरकार कहे जाने वाले संतोष भदौरिया को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
मैथानी ने बताया कि वह मुख्यमंत्री से खुद मिले थे। बागेश्वरधाम के धीरेंद्र शास्त्री से उनकी फोन पर बातचीत हुई है। अमित झा ने करौली सरकार के आने की पुष्टि की है। रामाभिराम सेवा संस्थान के अध्यक्ष अमित झा ने बताया कि सात अक्टूबर को सुबह नौ बजे कथास्थल से पांच सौ महिलाओं की कलशयात्रा निकाली जाएगी। इसमें जगदगुरु रामभद्राचार्य का रथ भी होगा।
इसके अलावा पांच-पांच बग्घियां और रामलला की झांकी भी कलश यात्रा में शामिल होगी। कलशयात्रा का नेतृत्व बलदेव सिंह करेंगे। प्रेसवार्ता में झा के साथ राजीव अग्रवाल, अशोक खंडेलवाल।
सुप्रीमकोर्ट में उनकी गवाही सुर्खियां बनीं
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद में पद्मविभूषण रामभद्राचार्य की गवाही सुर्खियों में रहीं। वेद-पुराणों के उद्धरणों के साथ उनकी गवाही का कोर्ट भी कायल हो गया था। रामभद्राचार्य जी श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के तौर पर हाजिर हुए थे। ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उन्होंने उद्धरण दिया था। इसमें सरयू नदी के स्थान विशेष दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्योरा दिया गया था।
इसी से उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई थी। कोर्ट में इसके बाद जैमिनीय संहिता मंगाई गई। उसमें जगद्गुरु ने जिन उद्धरणों का जिक्र किया था, उसे खोलकर देखा गया। सभी विवरण सही पाए गए। यह भी पाया गया था कि जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई, विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर पाया गया।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान ने फैसले का रुख मोड़ दिया। सुनवाई करने वाले जस्टिस ने भी इसे भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना। एक व्यक्ति जो देख नहीं सकते, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल संसार से उद्धहरण दे सकते हैं। उनकी विद्वता लोगों में ईश्वरीय शक्ति ही मानी जाती है।