लखनऊ : जलकल विभाग के कर्मचारियों ने बनाया मोर्चा, प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर रखी यह मांग

लखनऊ : जलकल विभाग के कर्मचारियों ने बनाया मोर्चा, प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर रखी यह मांग

लखनऊ, अमृत विचार। नगर निगम में जलकल विभाग का पूरी तरह से विलय होने की खबर से कर्मचारियों में नाराजगी है। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि अपने वेतन के लिए हम किसी पर अभी निर्भर नहीं हैं और न ही विभाग पर कोई देनदारी है। जबकि नगर निगम पर अपने ही कर्मचारियों की देनदारी बाकी है।

इतना ही नहीं जलकल विभाग के कर्मचारी इस बात से भी आहत हैं कि जलकल की कार्यप्रणाली में हो रहे संशोधन में उनके सुझाव नहीं शामिल किये जा रहे हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश जलकल जल संस्थान अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया और शुक्रवार को बैठक कर प्रमुख सचिव नगर विकास से मोर्चा के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लेने की मांग की गई है। इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास को मोर्चा की तरफ से पत्र लिखकर समय मांगा गया है।

पत्र एक

 

पत्र दो नया

दरअसल, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के सभी जलकल, जल संस्थानों के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक ऐशबाग जलकल प्रांगण में रमेश तिवारी की अध्यक्षता में हुई जिसमें यह निर्णय लिया कि शासन द्वारा पूर्व में जारी शासनादेश जो जलकल की कार्य प्रणाली के सम्बन्ध में जारी किये गये थे। उनमें संशोधन किया जा रहा है। जबकि यह शासनादेश जलकल विभाग जैसे संवेदनशील विभाग की आवश्यकताओं को देखते हुए जारी किया गया था।

मीडिया प्रभारी नितिन त्रिवेदी ने बताया कि यदि जलकल विभाग का नगर निगम में पूरी तहर से विलय हो जायेगा, तो महाप्रबंधक जलकल की  वित्तीय शक्तियां समाप्त हो जायेंगी। जिससे इस विभाग में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी इसका दुष्परिणाम झेलेंगे। उन्होंने बताया कि नगर निगम पर अपने कर्मचारियों की देनदारी बाकी है, जबकि जलकल विभाग में कर्मचारियों को कोई देनदारी बाकी नहीं है।

उन्होंने बताया कि जलसंस्थान जिनका विलय नगर निगम में हो चुका है, लेकिन जलसंस्थान अपने कर्मचारियों का वेतन अपनी तरफ से सृजित राजस्व के जरिये कर रहा है। जबकि नगर निगम अपने कार्मिंकों के वेतन के लिए पूरी तरह से शासन पर निर्भर है। इसलिए प्रमुख सचिव नगर विकास से यह अनुरोध किया गया है कि इस मोर्चा से विचार विर्मश के बाद ही कोई परिवर्तन किया जाये। 

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