अयोध्या: जीरो टॉलरेंस, फिर भी नहीं लग पा रही भ्रष्टाचार पर लगाम
पांच में से तीन तहसीलों में मामला हो चुका है उजागर, राजस्व विभाग के कानूनगो-लेखपाल आदि रंगे हाथ हो चुके हैं गिरफ्तार

अयोध्या, अमृत विचार। प्रदेश सरकार की ओर से भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस और पारदर्शी कामकाज की नीति लागू की गई है, लेकिन छोटे-मोटे काम के लिए जरूरतमंद को कइयों बार चक्कर लगाना पड़ रहा है। सरकारी विभाग के कर्मियों की ओर से खुलेआम सुविधा शुल्क की मांग की जाती है और सुविधा शुल्क न देने पर टालमटोल की जाती है। इसी वर्ष जनपद के पांच तहसीलों में से तीन तहसीलों में राजस्व कर्मियों के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हो चुका है।
शिकायत पर एंटी करप्शन की टीम रंगे हाथों गिरफ्तार कर नामजद रिपोर्ट दर्ज करवा विवेचना और अग्रिम कार्रवाई में जुटी है। जिले की तहसील मिल्कीपुर में दो मामला सामने आ चुका है। अभी 9 अगस्त को एंटी करप्शन की टीम ने लेखपाल विंध्या प्रसाद तिवारी जोरियम गांव के बाग की पैमाइश के मामले में लालू सिंह की शिकायत पर 5000 रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
तो इसी तहसील के आदिलपुर राजस्व गांव के उरुवा वैश्य हल्के के लेखपाल बृजेश मीणा को 5 हजार रूपये सुविधा शुल्क लेते समय तहसील गेट के सामने रंगे हाथ पकड़ा गया था। गांव निवासी रामचंद्र ने वसीयत के आधार पर दाखिल-ख़ारिज के मामले में सुविधा शुल्क मांगने की शिकायत की थी।
वहीं टीम ने सदर तहसील में कानूनगो के पद पर तैनात विजय मिश्रा को घूस लेते हुए गोसाईगंज क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। उनपर 8000 हजार रुपए रिश्वत लेने का आरोप था। उधर सोहावल तहसील के एंटी करप्शन की टीम ने दाखिल खारिज के एक मामले में शिकायत पर मसौधा क्षेत्र के लेखपाल दिनेश चौरसिया को हकबरारी के लिए नाप जोख के लिए 3000 रूपये सुविधा शुल्क लेते पकड़ा था और कैंट थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
एंटी करप्शन के निरीक्षक धनंजय सिंह का कहना है कि शिकायतों पर कुल पांच मामलों में टीम बनाकर गिरफ्तारी की गई है और रिपोर्ट दर्ज करवा विवेचना तथा कार्रवाई कराई जा रही है। उनका कहना है कि कोई भी सरकारी कर्मी सुविधा शुल्क मांगता है तो उनके कार्यालय को लिखित शिकायत की जा सकती है।
मवई में एडीओ पंचायत हुआ था ट्रैप
मवई ब्लाक में एएनएम केंद्र की स्वीकृति के लिए अशरफपुर के ग्राम प्रधान लालता प्रसाद से 20 हजार सुविधा शुल्क मांगने के मामले में भ्र्ष्टाचार निवारण की टीम ने 26 अप्रैल 23 को सहायक विकास अधिकारी पंचायत मवई रविंद्र कुमार वर्मा को 20 हजार रूपये सुविधा शुल्क लेते पकड़ा था और रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
प्रधान की शिकायत थी कि 10 हजार रुपया देने के बावजूद बकाये का अग्रिम भुगतान न करने पर उसको कार्यालय से अभद्रता के बाहर निकाल दिया गया, जबकि उसने तत्काल रकम न होने के चलते केंद्र स्वीकृत होने पर भुगतान की बात कही थी।
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