प्रभावी ढंग से चले संसद

संसद के मानसून सत्र में नाममात्र का ही काम हो सका। 20 जुलाई से शुरू हुआ सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। पूरा सत्र मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर धुल गया। सत्र में कुल 31 बिल पारित किए जाने थे। मणिपुर हिंसा के अलावा दिल्ली सेवा बिल, अविश्वास प्रस्ताव और सर्वोच्च अदालत द्वारा राहुल गांधी की सजा पर रोक आदि मानसून सत्र के महत्वपूर्ण मुद्दे रहे। कुल मिलाकर संसद का मानसून सत्र बुनियादी तौर पर ‘अविश्वास’ के नाम रहा। मौजूदा सत्र में जारी गतिरोध के चलते इस धारणा को बल मिला है कि एक संस्था के रूप में संसद की गरिमा घट रही है।
समय-समय पर संसद की भूमिका पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। साल 1950 में गठित लोकसभा की हर साल औसतन 127 बैठकें हुईं थीं। मौजूदा सत्र के दौरान 17 बैठक हुईं जिनमें 44 घंटे 13 मिनट कामकाज हुआ। सत्र में लोकसभा की कार्य उत्पादकता करीब 46 प्रतिशत रही। इस तरह संसद की बैठकों की संख्या में गिरावट आने के साथ-साथ गतिरोध की वजह से बर्बाद होने वाले घंटों की संख्या बढ़ी है। सत्र के दौरान 20 सरकारी विधेयक पेश हुए और 22 विधेयक पारित किए गए।
महत्वपूर्ण विधेयकों में बहुराज्य सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2023, डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2023, राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक 2023, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक 2023, जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक 2023, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023 और अंतर सेना संगठन कमान, नियंत्रण और अनुशासन विधेयक 2023 शामिल हैं। बेशक तकनीकी आधार पर बिल पारित माने जाएंगे, क्योंकि ध्वनि-मत भी संसदीय तरीका है,लेकिन रक्षा, शिक्षा, जन-सरोकार, कानून और सूचना प्रौद्योगिकी सरीखे विषयों पर न तो कोई बहस हो सकी और न ही संसदीय स्थायी समितियां चिंतन कर सकीं।
संसद के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जवाब खुद इसके सदस्यों से ही मिल सकता है। लोकतांत्रिक नैतिकता और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर यह अपेक्षा की जाती है कि संसद के काम करने के तरीके और संस्था के रूप में कमजोर होने पर बात हो। संसदीय राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका है। एक ऐसा तंत्र विकसित करने की जरूरत है जिसमें दोनों को अपनी बात रखने का मौका मिल सके। शायद संसद की भूमिका का महत्व बताने के लिए सांसदों को इस पर चर्चा करने की जरूरत है कि संसद को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए किस तरह की सांस्थानिक प्रक्रिया की जरूरत है।