बरेली: कुम्हड़े के भाव गिरे तो फंस गए सैकड़ों किसान, कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाले कुम्हड़े लागत नहीं हो पा रही है वसूल
पिछले साल आठ से नौ सौ रुपये क्विंटल बिका था, इस बार ढाई सौ में भी पूछने वाले नहीं

बरेली, अमृत विचार: कम लागत में ज्यादा मुनाफे के लिए कुम्हड़े की खेती करने वाले किसान इस बार फंस गए हैं। पेठा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कुम्हड़े की पैदावार तो इस बार जमकर हुई लेकिन भाव गिरने से फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही। पिछले साल कुम्हड़ा आठ सौ से नौ सौ रुपये क्विंटल तक बिका था लेकिन इस बार ढाई सौ से तीन सौ तक में कोई नहीं पूछ रहा है।
उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब 1700 हेक्टेयर में कुम्हड़े की खेती होती है। रामगंगा से सटे इलाकों के अलावा भुता और फरीदपुर के गांवों में सर्वाधिक किसान लंबे समय से कुम्हड़े की खेती करते आ रहे हैं। किसानों के मुताबिक इस साल जिस भाव में व्यापारी खरीदारी करने आ रहे हैं, उससे लागत तक नहीं निकल पा रही है। कई किसानों ने इस उम्मीद में कुम्हड़े की फसल खेत में ही रख छोड़ी है कि जब दाम बढ़ेंगे तब उसे बेचेंगे।
बरेली के कुम्हड़े की मिठास बिहार और बंगाल तक: जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक ने बताया कि बरेली का कुम्हड़ा पेठा बनकर आगरा, कानपुर के अलावा दिल्ली, गुवाहाटी, पंजाब, बिहार, बंगाल समेत कई राज्यों के लोगों का मुंह मीठा करता है।
आगरा से भी बरेली में एक खास किस्म के पेठा बरेली आता है। इस बार पिछले साल के मुकाबले करीब 300 हेक्टेयर पैदावार ज्यादा होने और दाम घटने से सप्लाई प्रभावित हुई है। किसान घाटे का सौदा मानकर कुम्हड़ा बेचने से बच रहे हैं।
बड़े काम का है कच्चा कुम्हड़ा: कच्चे कुम्हड़े का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेदाचार्य डा. अंजनि बताते हैं कि कुम्हड़ा लिवर और ब्लड की बीमारियों में काफी कारगर है। कच्चा कुम्हड़ा गर्मी में ठंडक देता है और सर्दी में खांसी-जुकाम से बचाता है।
गर्भावस्था में कच्चे कुम्हड़े से कई पोषक तत्व मिलते हैं। इसके अलावा यह आंख, दिल और मस्तिष्क के लिए भी काफी फायदेमंद है। कुम्हड़े में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन,फास्फोरस और विटामिन सी भरपूर होता है।
टूट गईं उम्मीदें: पेठा बनाने के लिए कुम्हड़े की मांग आगरा, कानपुर और दिल्ली की मंडियों में ज्यादा रहती है। लागत कम होने से छोटी जोत वाले कुम्हड़ा उगाते हैं। एक बीघा खेत में 60 से 80 क्विंटल तक कुम्हड़ा होता है। इस बार जो भाव मिल रहे हैं, उसने सब चौपट कर दिया है। - कालीचरन, किसान
दूसरे राज्यों से मांग कम होने और जिले में कुम्हड़ा ज्यादा होने से लागत तक नहीं मिल पा रही है। दाम बढ़ने की उम्मीद में फसल खेतों में ही पड़ी है। इस बार कुम्हड़ा सबसे सस्ता है। नौ सौ रुपये क्विंटल तक बिकने वाला कुम्हड़ा 250 रुपये क्विंटल मुश्किल से बिक पा रहा है। - सीताराम, पेठा किसान
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