श्रीनगर: ‘गमक’ रही सदियों पुरानी गुलाब जल, छह सौ साल पुरानी है दुकान
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर निवासी अब्दुल अजीज कोजगर अपने पूर्वजों की यादों को जिंदा रखने के लिए डाउनटाउन इलाके में छह सौ साल पुरानी एवं एकमात्र गुलाब जल डिस्टलरी की दुकान चला रहे हैं। यह दुकान हजरत अमीर कबीर मीर सैयद अली हमदानी (आरए) की प्राचीन मजार के पास स्थित है। हजरत अमीर ने वर्ष 1372 में अपने सैकड़ों अनुयायियों के साथ कश्मीर घाटी में इस्लाम का संदेश फैलाले के लिए दौरा किया था।
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उनके काफिले में अच्छी संख्या में कारीगर भी थे जिन्होंने लोगों को गुलाब जल बनाने की कला को सिखाया। लकड़ी और ईंट से बनी दुकान में दीवारों पर सूफी संतों के चित्र लगाए गए हैं। अलमारियों में गहरे रंग की कांच की बोतलें और अलग-अलग आकार के प्राचीन दिखने वाले जार रखे हुए हैं - उन पर हस्तलिखित उर्दू और फारसी पर्चियां चिपकाई गई हैं।
अब्दुल अजीज ने कहा, 'मैं बचपन से ही गुलाब जल बना और बेच रहा हूं। दुकान के मालिक एवं वारिस अब्दुल ने ‘यूनीवार्ता’से कहा, “हम यह काम एक व्यापार के रूप में नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने पूर्वजों की स्मृति को जीवित रखना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है।” उन्होंने कहा कि दुकान पांच-छह सौ साल पुरानी है और वह इसे पिछले 50 साल से चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कश्मीरी गुलाब की पंखुड़ियों से गुलाब जल बनाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जब हज़रत अमीर कबीर मीर सैयद अली हमदानी ने लगभग सात सौ साल पहले कश्मीर का दौरा किया था तो वह अपने साथ बड़ी संख्या में कारीगरों को लेकर आए थे, जिसमें “अत्तर” या खुशबू बनाने वाले और विभिन्न शिल्पकार शामिल थे। उन्होंने यहां प्रवास के दौरान स्थानीय वाशिंदों को इस कला और शिल्प के बारे में सिखाया।
उन्होंने कहा, “यह कारीगरों और “अत्तर” के प्रयासों का परिणाम है कि घाटी में आज न केवल विभिन्न हस्तशिल्प जीवित हैं, बल्कि हमारी अद्भुत संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और कई लोगों के लिए आजीविका का स्रोत हैं। ” उन्होंने कहा कि उनकी गुलाब जल डिस्टिलरी की दुकान उस युग की याद दिलाती है।
इस दुकान में कश्मीर के गुलाब के फूलों की पत्तियों को निचोड़ कर गुलाब जल तैयार किया जाता है, जिसे कश्मीर के सभी पूजा स्थलों, मठों और इमामबाड़ों में नियमित रूप से सभाओं और अन्य अवसरों पर छिड़का जाता है। अब्दुल ने कहा कि एक बोतल की कीमत 50 रुपये है जबकि वही बोतल बाजार में 300 रुपये में बिक रही है। उन्होंने कहा, 'हमारा उद्देश्य सिर्फ बेहतरी के लिए काम करना है न कि इससे पैसा कमाना है।'
उन्होंने कहा कि पहले उनकी पुश्तैनी दुकान से गुलाब जल से कई तरह की बीमारियों की दवाइयां तैयार की जाती थीं। पहले कुछ “हकीम” या एक हर्बल दवा के चिकित्सक रोगियों को विभिन्न बीमारियों के लिए दुकान पर तैयार किए गए के लिए गुलाब जल की दवाइयां लिखते थे। उन्होंने कहा, “ अब हकीमों ने गुलाब जल से बनी दवाइयां लिखना बन्द कर दिया है लिहाजा हमने भी इसे यहां तैयार करना बंद कर दिया है।
हम प्राचीन पद्धति को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इसमें कोई बदलाव न हो। जिस तरह से हमारे पूर्वज अपने हाथों से गुलाब जल बनाते थे, हमने ठीक उसी तरीके को अपनाया है। इतना ही नहीं हम उन बर्तनों और बोतलों का उपयोग करते हैं जिनका उपयोग उन्होंने किया।” उन्होंने कहा,“ आज की पीढ़ी इस व्यापार से पूरी तरह अनभिज्ञ है और उसे यह नहीं पता कि पूजा स्थलों में इत्र के रूप में इस्तेमाल होने वाला गुलाब जल यहां कश्मीर में बनता है।”
गुलाब जल, जो गुलाब के फूल की पंखुड़ियों से बनाया जाता है, का उपयोग न केवल इत्र के लिए किया जाता था, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों से पहले मेकअप में भी किया जाता था।विशेषज्ञों के अनुसार गुलाब जल त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है और त्वचा की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बेहद कारगर माना जाता है।
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