जो बाइडेन-जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका-कनाडा के अविभाज्य रिश्तों और साझा मूल्यों की महत्ता को किया रेखांकित
प्रवासियों संबंधी मुद्दे पर बाइडेन और ट्रुडो ने एक समझौते का ऐलान किया है
ओटावा (कनाडा)। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका और कनाडा के बीच करीबी एवं 'अविभाज्य' संबंधों की महत्ता को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को कहा कि दोनों राष्ट्रों के साझा मूल्य दुनिया के लिए कभी इतने ज्यादा अहम नहीं रहे, जितने वे अब हैं। राष्ट्रपति के तौर पर कनाडा की पहली यात्रा पर आए बाइडेन ने कहा कि यह अमेरिका का सौभाग्य है कि कनाडा उसका पड़ोसी है। उन्होंने कहा कि दोनों ही देश तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, यूरोप में युद्ध और अन्य मामलों से जूझ रहे हैं।
प्रवासियों संबंधी मुद्दे पर बाइडेन और ट्रुडो ने एक समझौते का ऐलान किया है जिसका लक्ष्य शरण लेने के लिए गैर आधिकारिक तरीके से अमेरिका की सीमा पार कर कनाडा आने वाले लोगों को रोकना है। यह समझौता मौजूदा नियमों में कमियों को दूर करेगा और दोनों देश शरण मांगने वाले लोगों को अपनी-अपनी सीमाओं से ही वापस भेज सकेंगे। हालांकि कनाडा ने ऐलान किया है कि वह पश्चिमी गोलार्ध के 15,000 प्रवासियों को देश में प्रवेश करने का आधिकारिक मौका देगा। नई नीति के अनुसार, अगर कोई गैर अमेरिकी या कनाडाई नागरिक बिना दस्तावेज़ों के सीमा पार करने के 14 दिन के अंदर पकड़ा जाता है तो उसे वापस भेजा जाएगा। यह नीति शनिवार मध्य रात्रि से लागू होगी। संसद में अपने भाषणों से पहले दोनों नेता शीर्ष सहायकों के साथ निजी बातचीत के लिए बैठे।
इस दौरान यूक्रेन और रक्षा खर्च के अलावा चीन की आक्रामकता और हैती में हिंसा एवं राजनीतिक अस्थिरता समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की गई। ट्रुडो ने बीजिंग की बढ़ती आर्थिक शक्ति को रेखांकित किया और इससे निपटने के लिए अमेरिका और कनाडा के मिलकर काम करने की जरूरत पर बल दिया । बाइडेन ने अपने भाषण में कहा, आज हमारी नियति आपस में जुड़ी हुई है और वे अविभाज्य हैं। यह भौगोलिक अनिवार्यता के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है, क्योंकि हमने इसे चुना है।
उन्होंने कहा, "कनाडा और अमेरिका यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता साझा करते हैं कि नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) हर प्रकार के खतरे को रोक सके और हर प्रकार की आक्रामकता के खिलाफ बचाव कर सके।" ट्रुडो ने यूक्रेन पर रूस के हमले को नाकाम करने में मदद देने के लिए अमेरिका के साथ "कंधे से कंधा मिलाकर" खड़े रहने का संकल्प लिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिए और अधिक निकटता से समन्वय करने की जरूरत पर भी बात रखी।
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