बाराबंकी: गुनाह कुछ भी नहीं किया, फिर भी सलाखों के पीछे 10 बच्चे काट रहें सजा, जानें वजह

बाराबंकी। गुनाह कुछ भी नहीं किया फिर भी सलाखों के पीछे सजा भुगत रहे हैं 10 बच्चे। जीवन की यह विडंबना जिला कारागार में 10 मासूमों के साथ जुड़ी है जो यहां की महिला बंदी बैरक में निरुद्ध अपनी मां के साथ रहने को विवश है। आम बच्चों की तरह न हीं इन्हें खेलने की इजाजत है और न ही इनके लिए पौष्टिक भोजन व पर्याप्त दूध के इंतजाम हैं।
खेल-खिलौने, लुका-छिपी से अनजान इन बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए भी समुचित व्यवस्थाएं नहीं है। इन्हें कैदियों के लिए बनने वाला खाना ही परोसा जाता है। इन बच्चों को पढ़ाये जाने और नकारात्मक प्ररिवेश का असर उनके बाल मन पर न पड़े इसके भी बेहतर उपाय नहीं है ऐसे में इन बच्चों का बचपन निरअपराध होते हुए भी घुटन में बीत रहा है।
बच्चों की दिनचर्या छोटी बैरक में अन्य बच्चों के साथ खेलने में व्यतीत होती है। कारागार में इस समय कुल 55 महिला बंदी है। 10 महिला बंदियों के साथ उनके 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे रहते हैं। महिला बंदी सोमैया के साथ दो बच्चे हैं। सभी बच्चे 1 से 6 वर्ष की आयु के हैं। कारागार के कठोर नियमों के चलते बच्चों को भी स्वतंत्र परिवेश मिलने में कठिनाइयां हैं।
बच्चों के लिए ना तो अतिरिक्त पौष्टिक भोजन तथा दूध का इंतजाम है न ही कारागार की ओर से उन्हें खेलने की सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। हर बच्चे को लगभग आधा लीटर दूध प्रतिदिन दिया जाता है तथा खाद्य सामग्री में दाल चावल दिए जाने की व्यवस्था है। कारागार की महिला बैरक में सिर्फ महिला बंदियों की आवाजाही है।
यहां अनिरुद्ध निर्मला किरन एराजेश्वरीए शारदा आदि महिला बंदियों की व्यथा अंतहीन कथ है। कारागार में रह रहे 10 बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं के प्रति जेल प्रशासन दावे तो बड़े करता है परंतु इस बाबत जेल प्रशासन शिकार करता है कि जेल नियमों के तहत यहां महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों को सुविधाएं दी जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत बच्चों को खेल सामग्री और सुविधाएं व वस्त्र दिए जाते हैं ।
यूपी जेल मैनुअल के पैरा 662 में यहां अनुमति दी गई है महिला बंदी अपनी इच्छा वर्ष से कम आयु के बच्चे को अपने साथ रख सकती है। पैरा 364 में कारागार अधीक्षक जैसा निश्चित करेंगे वैसे वस्त्र बच्चों को दिए जाएंगे। पैरा 551 मैं बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ व पेय की मात्रा निर्धारित की गई है।
पूर्व में बने इस चार्ट में दिए जाने वाले पेय व खाद्य को छटाक ईकाई मैं विभक्त किया गया था जो अब संशोधन के बाद ग्राम में परिवर्तित कर दिया गया ।एक छटाक बराबर लगभग 62ण्50 ग्राम होता है ।ऐसे में बच्चों को 375 ग्राम से लेकर आधा लीटर दूध दिए जाने की व्यवस्था है।
कारागार में अपनी मां के साथ रह रहे तीन बच्चों को परिषदीय विद्यालय में पढ़ने की अनुमति दी गई है। जेल प्रशासन की ओर से इन्हें प्रतिदिन स्कूल भेजे जाने की व्यवस्था है। नियमावली के अनुसार सूर्यास्त से पूर्व बैंरक बंद होने से पहले सभी बच्चों को बैरक परिसर में खेलने की अनुमति दी गई है ...पीपी सिंह, कारागार, अधीक्षक।
यह भी पढ़ें:-बाराबंकी: चुनावी सभा के दौरान कुर्सियां हटाने के विवाद में बाइक सवार की पिटाई