जयपुर: BMCHRC में हाथ पर नया लिंग बनाकर किया प्रत्यारोपण, 8 घंटे चली सर्जरी

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमसीएचआरसी) में एक जटिल सर्जरी के दौरान कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर रोगी के हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों एवं नसों के जरिए नया लिंग बनाकर क्रियाशील लिंग पुन: निर्माण किया गया है। राज्य में पहली बार हाथ पर लिंग बनाकर यथास्थान प्रत्यारोपण करने की उपल्ब्धि हासिल की गई है।
ये भी पढ़ें - अमृतसर: फोरेंसिक मेडिसिन पर 44वां वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन कल से
करीब आठ घंटे चली इस सर्जरी में पांच चिकित्सकों सहित 11 लोगों की टीम ने यह सफलता पाई। बीएमसीएचआरसी के कैंसर सर्जन डॉ प्रशांत शर्मा ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि बूंदी निवासी 72 वर्षीय व्यक्ति ने उपचार के दौरान लिंग हटाने की बात जानकर पहले उपचार के लिए मना कर दिया था। लेकिन जब इसके प्रत्यारोपण की बात समझाने पर वह उपचार के लिए राजी हो गया।
इस सर्जरी में पहले डॉ प्रशांत शर्मा की टीम ने कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाया। इसके पश्चात प्लास्टिक एंड रिकंसट्रक्टिव सर्जन डॉ उमेश बंसल और डॉ सौरभ रावत की टीम ने इसके पुनःनिर्माण की प्रकिया की। डॉ बंसल ने बताया कि कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर सम्पूर्ण लिंग पुनःर्निमाण एक ही ऑपरेशन में करना एक जटिल प्रकिया है लेकिन यह दोनों प्रकिया साथ होने से रोगी की मानसिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
सर्जरी के दौरान पहले रोगी के बाए हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों एवं नसों को लेकर इसका निर्माण किया गया। उसके बाद माइक्रोस्कोपिक तकनीक से इसे यथा स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया गया और उसमें रक्त प्रवाह शुरू किया गया। इस सर्जरी में माइक्रो सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि इसके पुनर्निर्माण का उद्देश्य सही आकार, लंबाई और मूत्रमार्ग बनाने के साथ ही इसमें संवेदना देना होता है।
साथ ही जिस हाथ पर इसका निर्माण किया गया, उस हाथ की कार्य क्षमता और आकार में कोई परिवर्तन नहीं आया। ऐसे में रोगी इसके प्रत्यारोपण के बाद पूर्ण रूप से सामान्य जीवन जी सके। डॉ शर्मा ने बताया कि कैंसर रोगियों में से करीब चार प्रतिशत रोगी पुरुष जननांग अंग के कैंसर के होते हैं।
इन रोगियों में करीब 50 प्रतिशत रोगियों में उपचार स्वरूप लिंग को हटाना पडता। डॉ रावत ने बताया कि राज्य की प्रथम लिंग पुनःनिर्माण सर्जरी 2017 बीएमसीएचआरसी में ही की गई थी। चिकित्सालय में अब तक 10 लिंग पुनःनिर्माण हो चुके है। इन सभी सर्जरी में ना सिर्फ सफलता मिली बल्कि नया लिंग हूबहू प्राकृतिक जैसा बनाया गया।
पुनःनिर्माण दो सप्ताह के अंदर व्यक्ति सामान्य रूप से चलना-फिरना और अन्य दैनिक कार्य आसानी से कर सकता है। डॉ रावत ने बताया कि किसी व्यक्ति का लिंग चोट, कैंसरग्रस्त या अन्य किसी कारण से हटाया गया हो या जन्मजात लिंग नहीं हो तो लिंग पुनःनिर्माण संभव है।
एक सवाल के जवाब में बताया कि इन चिकित्सकों ने बताया कि इस सर्जरी में करीब दो लाख रुपए का खर्चा आता है और सरकार इस पूरी सर्जरी को चिरंजीवी योजना में शामिल कर मरीजों को इसका लाभ देना चाहिए। हालांकि केवल आपरेशन योजना में शामिल है लेकिन अन्य खर्चा इसमें शामिल नहीं है।
ये भी पढ़ें - मणिपुर: 25 करोड़ रूपये का मादक पदार्थ बरामद, एक गिरफ्तार