Joshimath Crisis: आपदा प्रबंधन सचिव बोले- जोशीमठ अपनी जगह पर रहेगा, सरकार कर रही अपना काम

जोशीमठ, अमृत विचार। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव और भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे राहत व बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या 1976 से चली आ रही है। वर्तमान में यह बढ़ी है। वैज्ञानिकों की टीम समस्या के कारणों की तह तक जाने को अध्ययन में जुटी हैं।
प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे
प्रारंभिक तौर पर वैज्ञानिकों ने माना है कि भू-धंसाव का समाधान हो जाएगा और उनकी रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के उपचार के लिए प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे।
प्रभावित क्षेत्र में पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी
जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी हैं, जिससे क्षेत्र धंस सकता है। डॉ सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ कहीं नहीं जा रहा, वहीं रहेगा। सरकार इसके उपचार के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।
प्रभावित क्षेत्र में ऊपर की भूमि सूखी
डॉ. सिन्हा ने जोशीमठ में अध्ययन में जुटे वैज्ञानिकों से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि प्रारंभिक तौर पर ये बात सामने आई है कि प्रभावित क्षेत्र में ऊपर की भूमि सूखी है, जबकि नीचे नमी अधिक है। यानी पानी सीधे नीचे जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उपचारात्मक कार्यों से भूधंसाव थम जाएगा।