मुरादाबाद : चिंताजनक! जिला अस्पताल के भरोसे रहे तो टूट जाएगी जिंदगी की डोर
चिंताजनक: तीन महीने से शहर में नहीं लगा रक्तदान शिविर, ब्लैड बैंक में खून की किल्लत

जूही दास, अमृत विचार। यदि आप इस भरोसे में हैं कि आपात हालात में खून की मांग जिला अस्पताल पूरी करेगा तो भारी गफलत में हैं। जिला अस्पताल का ब्लड बैंक खुद खून की की से जूझ रहा है। स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के अभाव व कैंप नहीं लगने के कारण ब्लड बैंक में मात्र 81 यूनिट रक्त बचा है।
रक्तदान नहीं होने के कारण ब्लड बैंक में ब्लड का संकट बना हुआ है। जिला अस्पताल में 1000 यूनिट क्षमता वाला ब्लड बैंक है। वहीं प्रति दिन 20-25 यूनिट रक्त की आपूर्ति हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ब्लड बैंक में ‘ओ’निगेटिव एक यूनिट ही शेष बचा है। जबकि ‘एबी’निगेटिव खून का अभाव है। रक्त की कमी के चलते थैलीसीमिया, एनेमिक और गर्भवती महिलाओं सहित लावारिस के इलाज में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अस्पताल में थैलेसीमिया के 60 बच्चे और हीमोफीलिया फेक्टर आठ के 142 और फेक्टर नौ के 13 मरीज पंजीकृत है। जिन्हें हर माह रक्त की जरूरत पड़ती है।
संगठन भी नहीं आ रहे आगे
सर्दी के चलते पिछले दो माह से रक्तदान शिविर नहीं लगा। डोनर नहीं आने से समस्या बढ़ी है। स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी पिछले कुछ महीनों से शिविर नहीं लगाए हैं। इससे बैंक में ब्लड की कमी हुई है। बताया कि अब ब्लड लेने वालों से पहले प्रार्थना पत्र लिया जा रहा है जिसमें दोबारा आवश्यकता पर डोनर को साथ लेकर आने की बात लिखवाई जा रही है।
मरीज को हायर सेंटर करना पड़ता है रेफर
ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. राजेंद्र सैनी ने कहा कि ‘एबी’निगेटिव खून ब्लड बैंक में नहीं है। अगर किसी मरीज को निगेटिव खून की जरूरत पड़ती है। तो उसके साथ वालों का ग्रुप चेक कर डोनेट करा दिया जाता है। अगर साथ वाले किसी व्यक्ति का ग्रुप नहीं मिलता है। तो ऐसी हालत में मरीज को मेरठ रेफर कर दिया जाता है।
सीएमओ एमसी गर्ग का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौर में ब्लड बैंक में रक्त की कमी है। स्वयंसेवी संगठन के सदस्य और युवा स्वेच्छा से रक्तदान करें, ताकि मरीजों को जरूरत पड़ने पर आसानी से रक्त मुहैया कराया जा सके।
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