कन्नूर (केरल): बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी ने किया कार्य रोकने का आग्रह

कन्नूर (केरल), अमृत विचार। जोशीमठ में भूमि धंसने पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी ईश्वरप्रसाद नंबूदरी ने जोशीमठ में प्रकृति और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजनाओं को रोकने का अधिकारियों से अनुरोध किया है।
करीब 1,830 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 17,000 की आबादी वाले जोशीमठ में सैकड़ों घरों और इमारतों में दरारें आने के लिए साफ तौर पर जमीन धंसने को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। रावल ने कहा, हम धरती माता की पूजा करते हैं। जोशीमठ में विकास चिंता का विषय है। पृथ्वी की दृष्टि से हानिकारक विकास परियोजनाओं को रोका जाना चाहिए। ऐसी किसी परियोजना का कोई मतलब नहीं है कि जो पारिस्थितिक रूप से नाजुक धरती और यहां के लोगों के लिए समस्या पैदा करे।
बद्रीनाथ के रावल उत्तरी केरल के नंबूदरी हैं। दीक्षा की इस परंपरा की शुरुआत सदियों पहले स्वयं ऋषि श्री शंकराचार्य ने शुरू की थी। रावल ने कहा कि लोगों के जीवन की रक्षा करते हुए विकास कार्यों को लागू किया जाना चाहिए। गत वर्ष 19 नवंबर को सर्दियों के मौसम से पहले बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद रावल अपने गृह राज्य लौटे हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्यदेशम में से एक है और वैष्णवों के लिए एक पवित्र मंदिर है जहां भगवान बद्रीनाथ के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
हिमालय क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण मंदिर हर साल केवल छह महीने के लिए खुलता है। मंदिर के कपाट अप्रैल के अंत में खुलते हैं और नवंबर की शुरुआत तक श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं। 32 वर्षीय नंबूदरी मई 2014 में बद्रीनाथ मंदिर के रावल बने थे। इससे पहले वह मंदिर में नायब रावल के रूप में सेवा दे रहे थे।