कड़वा है ये चिरायता, लेकिन गुणकारी भी

अमृत विचार, लखनऊ । चिरायता एक आयुर्वेदिक औषधि है,यह कड़वा जरूर होता है, लेकिन शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद भी होता है। यह कहना है डॉ.जितेंद्र का। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग कहा करते हैं कि खुजली हो तो चिरायते का सेवन करो, खून से संबंधित विकार को ठीक करने के लिए चिरायते का उपयोग करो।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद संहिता ग्रंथों के आधार पर, चिरायता बुखार, कुष्ठ रोग, डायबिटीज (chirata for diabetes), रक्त विकार, सांसों से संबंधित बीमारी, खांसी, अधिक प्यास लगने की समस्या को ठीक करता है। यह शरीर में होने वाली जलन, पाचनतंत्र के विकार, आंखों के रोग, पेट के कीड़े की समस्या, नींद ना आने की परेशानी, कंठ रोग, सूजन, व दर्द में काम आता है। इसके अतिरिक्त चिरायता घाव (wound), प्रदर (ल्यूकोरिया), रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या), खुजली और बवासीर आदि रोगों में भी प्रयोग में लाया जाता है। इसके पौधे कैंसर में भी फायदेमंद होते हैं,लेकिन गर्भवती महिला और कमजोर पाचन शक्ति के लोग विशेषज्ञ से पूछ कर ही इसका सेवन करें । बिना विशेषज्ञ की सलाह पर इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
चिरायते की होती हैं कई प्रजातियां
चिरायता (chirata in hindi) स्वाद में तीखा, ठंडा, कफ विकार को ठीक करने वाला है। असली चिरायता अपनी जाति के अन्य चिरायतों की तुलना में बहुत ही कड़वा होता है। चिरायते की कई प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
यह 60-125 सेमी ऊँचा, सीधा, एक साल तक जीवित रहने वाला होता है। इसके पौधे में अनेक शाखाएं होती हैं। इसके तने नारंगी, श्यामले या जामुनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, 5-10 सेमी लम्बे, 1.8 सेमी चौड़े होते हैं। नीचे के पत्ते बड़े तथा ऊपर के पत्ते (chirota leaf) कुछ छोटे व नोंकदार होते हैं।
इसके फूल अनेक होते हैं और ये अत्यधिक छोटे, हरे-पीले रंग के होते हैं। इसके फल 6 मिमी व्यास के, अण्डाकार, नुकीले होते हैं। चिरायता के बीज संख्या में अनेक, चिकने, बहुकोणीय, 0.5 मिमी व्यास के होते हैं। चिरायते के पौधे में फूल और फल आने का समय अगस्त से नवम्बर तक होता है।
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