‘प्रतिगामी दक्षिणपंथियों’ की आलोचना हमारी सरकार के सही दिशा में बढ़ने की पुष्टि करती है: CM स्टालिन
चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि सोशल मीडिया खातों पर राजनीतिक आलोचना करने वाले उनके विरोधी ‘‘प्रतिगामी दक्षिणपंथी’’ हैं और उनकी नुक्ता-चीनी इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है। स्टालिन की सरकार के मई 2021 में कार्यभार संभालने के बाद से सोशल मीडिया पर होने वाली आलोचना पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इस प्रकार के लोगों ने तमिलों के हितों के खिलाफ काम किया है।
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उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिगामी दक्षिणपंथियों द्वारा की जाने वाली आलोचना दर्शाती है कि हम (द्रमुक सरकार) सही पथ पर आगे बढ़ रहे हैं और तमिलनाडु सही दिशा में चल रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी थोपकर तमिल लोगों के हितों के खिलाफ काम करने वाले, धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करने और राज्य के अधिकार छीनने वाले लोग विभाजनकारी रणनीतियों और दुष्प्रचार में शामिल रहे हैं।’’
स्टालिन ने कोयंबटूर में अक्टूबर में हुए कार विस्फोट मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने में ‘‘देरी के लिए’’ तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार पर उंगलि उठाए जाने के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि राज्यपाल आर एन रवि की टिप्पणी ‘‘पूरी तरह से अनुचित और अनावश्यक’’ थी। स्टालिन ने पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) सरकार पर ‘‘राज्य को वित्तीय आपात स्थिति में धकेलने’’ का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि राज्य वर्तमान में अपने गौरव को वापस लाने के लिए निवेश बढ़ाने, अपने कर राजस्व में वृद्धि करने और उत्पादकता में सुधार करने को सर्वाधिक महत्व दे रहा है। साक्षात्कार में पूछे गये प्रश्न और उनके उत्तर इस प्रकार हैं:
प्रश्न:
देश के कई अन्य राज्यों की तरह तमिलनाडु वित्तीय संकट से जूझ रहा है। आपको क्या लगता है कि द्रमुक सरकार ने राज्य के सामने आए वित्तीय संकट को कैसे संभाला है?
उत्तर:
अन्नाद्रमुक के अक्षम शासन ने तमिलनाडु को वित्तीय आपातकाल की स्थिति में धकेल दिया था। उन्होंने तमिलनाडु को कर्ज में डूबा और राजस्व घाटे वाला राज्य बना दिया। 2021 में द्रमुक द्वारा बागडोर संभालने के बाद राज्य वित्तीय पहलों और सुधारों के जरिए कर्ज और अंधेरे से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है। हम राज्य को फिर से उसका गौरव लौटाने के लिए निवेश लाने, अपने कर राजस्व में वृद्धि और उत्पादकता में सुधार को सर्वोपरि महत्व दे रहे हैं। हम इसमें सफल हो रहे हैं। हम अब भी अपना वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बकाया प्राप्त करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति संकट में है, इसलिए राज्यों के अधिकारों और विकास के लिए नयी वित्तीय नीतियों की आवश्यकता है। भारत का विकास इसके राज्यों के विकास में निहित है। यही सच्चा संघवाद है जिसकी हम आकांक्षा करते हैं।
प्रश्न:
कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट बताती है कि तमिलनाडु का ऋण-सकल राज्य घरेलू उत्पाद अनुपात 26.94 प्रतिशत है, जो टीएनएफआर अधिनियम, 2003 द्वारा अनिवार्य रूप से निर्धारित 25.20 प्रतिशत की सीमा से अधिक है। तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने हाल में घोषणा की है कि राज्य का पूंजीगत व्यय आने वाले वर्षों में तिगुना होने वाला है। राज्य इस दर पर व्यय और आय का प्रबंधन कैसे कर सकता है?
उत्तर:
तमिलनाडु के वित्त मंत्रालय ने राज्य के राजस्व घाटे को कम करने के लिए वास्तव में अच्छा काम किया है, लेकिन हमारी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। तमिलनाडु अपने समग्र विकास मॉडल के लिए जाना जाता है। चूंकि हम हर क्षेत्र और हर स्तर पर समावेशी विकास लाने का प्रयास करते हैं, इसलिए खर्च के भी अधिक होने की संभावना है, लेकिन दीर्घावधि में यह बुनियादी ढांचे और रोजगार में किया गया एक निवेश है। हम वर्ष 2030 तक एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों की एक विशेषज्ञ समिति अपने सुझावों और सिफारिशों के जरिए हमारी मदद कर रही है। हम अगले कुछ वर्षों में तमिलनाडु को राजस्व-अधिशेष राज्य बनाएंगे।
प्रश्न:
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने संपत्ति कर, बिजली शुल्क और दूध की कीमतों में वृद्धि संबंधी सरकार के कदम की आलोचना की है। आपका क्या कहना है?
उत्तर:
यह (पूर्व मुख्यमंत्री के) पलानीस्वामी की अक्षमता और कुप्रबंधन है जिसने लोगों पर बहुत असर डाला है। अपने कुशासन को छिपाने के लिए वह बेमतलब की बात कर रहे हैं। तमिलनाडु में विपक्ष के पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। पलानीस्वामी की आलोचना में कोई दम नहीं है और तमिलनाडु के लोग इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं।
प्रश्न:
तमिलनाडु में विपक्षी दलों ने राज्य में ‘‘बिगड़ती कानून व्यवस्था’’ को लेकर द्रमुक की आलोचना की है। तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कोयंबटूर सिलेंडर विस्फोट मामले को एनआईए को सौंपने में देरी के लिए द्रमुक सरकार की आलोचना की है। आपका क्या कहना है?
उत्तर:
जब पूरा भारत जल रहा था, तब भी तमिलनाडु हमेशा शांतिपूर्ण रहा है। तमिलनाडु के लोगों को आस्था और राजनीति के बीच अंतर करने की समझ है। कुछ लोग इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे कि तमिलनाडु में पिछले 18 महीने से शांति है। वे सरकार को बदनाम करने के लिए कहीं हिंसा भड़कने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। कोयंबटूर में कार सिलेंडर विस्फोट के संबंध में राज्यपाल रवि की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित और अवांछित थी। हमने घटना के तीन दिन के भीतर मामला राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दिया था और राज्य पुलिस ने तीन दिन के भीतर मामले को एनआईए को सौंपने से पहले महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की थीं। इसी तरह के मामले में कर्नाटक सरकार को (मामला सौंपने में) छह दिन लगे। मामला 15 दिन में सौंपने का नियम है। पूर्व में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा जल्दबाजी में की गई टिप्पणियों को सुनकर मैं हैरान और स्तब्ध था, लेकिन मैंने यह लोगों के विवेक पर छोड़ दिया है कि वह उनकी चाल को समझें क्योंकि मुझे अपने लोगों के लिए कर्तव्यों का पालन करना है।
प्रश्न:
द्रमुक का विरोध करने वाले कई दक्षिणपंथी सोशल मीडिया खातों से आपकी पार्टी से जुड़े शासन के द्रविड़ मॉडल पर निशाना साधा है। उन्होंने कई बार कहा है कि द्रविड़ मॉडल का अनुकरण करने वाले लोग हिंदू धर्म और हिंदू भावनाओं के विरोधी हैं। इन खातों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘तमिल-आर-नॉट-हिंदू’ (तमिल हिंदू नहीं हैं) का इस्तेमाल कर द्रमुक सांसद ए राजा द्वारा हिंदुओं और दलितों को लेकर दिए गए विवादास्पद भाषण की आलोचना की। आप इस घटनाक्रम को कैसे देखते हैं?
उत्तर :
मैं हमेशा रचनात्मक आलोचना का स्वागत करता हूं। लेकिन, मैं किसी को बदनाम करने के एकमात्र इरादे से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों को जवाब देने में अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करता। मेरे पास लोगों और राज्य के लिए करने को बेहतर काम हैं। पेरारिग्नार अन्ना (द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरई) ने संसद में कहा था ‘‘मैं द्रविड़ियन स्टॉक (द्रविड़ मॉडल का अनुसरण करने वालों) से संबंध रखता हूं।’’ हम वही दोहराते हैं। हमारी द्रविड़ मॉडल सरकार अन्ना के नक्शेकदम पर चलेगी, जिन्होंने ‘‘एक जाति, एक भगवान’’ की बात की थी और सभी के कल्याण के लिए कार्य किया।
इस द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व अन्ना और दिवंगत एम करुणानिधि ने किया था और उन्होंने इस आधुनिक तमिलनाडु को गढ़ा। जो लोग हिंदी थोपकर तमिल लोगों के हितों के खिलाफ काम करते हैं, जो धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट कर रहे हैं और राज्यों के अधिकारों को छीन रहे हैं, वे ध्यान भटकाने वाली रणनीति अपना रहे हैं और दुष्प्रचार कर रहे हैं। तमिलनाडु के लोगों ने हमेशा इस प्रकार के विभाजनकारी षड्यंत्र को पहचाना है। प्रतिगामी दक्षिणपंथियों द्वारा की जा रही आलोचना दर्शाती है कि हम सही रास्ते पर हैं और तमिलनाडु सही दिशा में बढ़ रहा है।
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