पश्चिम बंगाल ने पर्यावरण जुर्माने के तौर पर 3,500 करोड़ रुपये जमा कराए

 पश्चिम बंगाल ने पर्यावरण जुर्माने के तौर पर 3,500 करोड़ रुपये जमा कराए

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया है, जिसमें कहा गया है कि उसने एक सितंबर को ठोस एवं तरल अपशिष्ट के उत्पादन और निपटान में भारी अंतर के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में लगाया गया 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना एक सुरक्षित खाते में जमा कर दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष ए.के. गोयल ने 21 दिसंबर को एक आदेश में कहा, रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया गया है।

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 इस पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि आदेश की एक-एक प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाए। राज्य सरकार ने 24 नवंबर को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके मुताबिक शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग ने अधिकरण के निर्देशानुसार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मिशन योजना के तहत दो अलग-अलग सुरक्षित खाते बनाए थे।

 रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के वित्त विभाग की सहमति मिलने के बाद राज्य शहरी विकास एजेंसी (एसयूडीए) के सार्वजनिक खाते में दो खाते खोले गए और एक में 3,500 करोड़ रुपये जमा किए गए। अपना पिछला आदेश जारी करते हुए अधिकरण ने पाया था कि पश्चिम बंगाल में शहरी निकायों से रोजाना निकल रहे 27580लाख लीटर अपशिष्ट में से 12680 लाख लीटर से ज्यादा शोधन नहीं हो पाता है और यह कई अपशिष्ट शोधन संयंत्रों को लगाने के बाद 15058.5 लाख लीटर परियोजना शोधन क्षमता से काफी कम है। 

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