लखनऊ: सरकारी वकीलों की नियुक्तियों पर नहीं है कोई रोक

अमृत विचार, लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी वकीलों की नियुक्ति के मामले में बुधवार को स्पष्ट किया है कि उसने राज्य सरकार को नए सरकारी वकीलों को नियुक्त करने से नहीं रोका है। दरअसल महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि कि वर्तमान याचिका के लम्बित होने के कारण सरकार नए सरकारी वकीलों की नियुक्ति नहीं कर पा रही है जबकि अदालतों में काम का बोझ काफी है।
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सौरभ श्रीावास्तव की खंडपीठ ने महाधिवक्ता के इस वक्तव्य के मददेनजर अगली सुनवाई जनवरी के अंतिम सप्ताह में नियत करते हुए अपने आदेश में कहा कि कोर्ट ने पहले भी कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई थी। मामले में सरकार की ओर से जवाबी हलफ़नामा भी दाखिल किया गया। न्यायालय ने कहा कि याचीगण बार एसोसिएशन से सलाह करके अपने प्रत्युत्तर में सरकारी वकीलों की नियुक्ति की प्रकिया को और बेहतर तथा पारदर्शी बनाने के लिए सुझाव भी स्पष्ट करेंगे।
उल्लेखनीय है कि रमाशंकर तिवारी व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में अपनायी जा रही प्रकिया को अपारदर्शी बताया था। बुधवार को बहस के दौरान महाधिवक्ता ने दलील दी कि कहा कि वर्ष 2017 में हाईकोर्ट के ही एक आदेश के अनुपालन में हाई पावर कमेटी बनाकर सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट द्वारा पवार मामले में दिए गए निर्देश का ही पालन किया जा रहा है लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार की प्रकिया पारदर्शी नहीं है।
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