AgustaWestland VVIP Chopper Scam: Christian Michel की जमानत याचिका पर 6 दिसंबर को 'सुप्रीम' सुनवाई

AgustaWestland VVIP Chopper Scam: Christian Michel की जमानत याचिका पर 6 दिसंबर को 'सुप्रीम' सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह कथित अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में बिचौलिए क्रिश्चन मिशेल की जमानत याचिका पर छह दिसंबर को सुनवाई करेगा। इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज कर रखी हैं।

ये भी पढ़ें- बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक 5-6 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में होगी

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि उसने याचिका मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की है क्योंकि आज सुनवाई के लिए बहुत मामले हैं। इससे पहले मई में शीर्ष अदालत ने जमानत याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा था।

यह मामला अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने में 3,600 करोड़ रुपए के कथित घोटाले से संबंधित है। पिछली सुनवाई के दौरान, आरोपी के वकील ने कहा था कि मामला सीआरपीसी की धारा 436ए (अधिकतम अवधि जिसके लिए विचाराधीन कैदी को हिरासत में लिया जा सकता है) के तहत आता है और उसने उस अपराध के लिए 50 प्रतिशत सजा काट ली है जिसे अंजाम देने का उस पर आरोप है। मिशेल के वकील ने कहा था कि आरोपी को दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और तब से वह हिरासत में है और जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है।

वकील ने कहा था कि मिशेल की दलील यह है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत अधिकतम सजा पांच साल की है और वह करीब चार साल काट चुका है। जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि बड़ी मुश्किल से जांच एजेंसी को उसकी हिरासत मिली है और ईडी की कार्यवाही पर धारा 436ए लागू नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मिशेल ब्रिटेन का रहने वाला है और उसे दुबई से प्रत्यर्पित करके लाया गया था।

मिशेल ने 11 मार्च के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में अपनी रिहाई की मांग करते हुए आरोपी ने कहा था कि जांच के लिए उसकी जरूरत नहीं है और उसने जांच में सहयोग करने की इच्छा जताई थी।

पिछले साल सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत याचिका खारिज करते हुए एक निचली अदालत ने कहा था कि समग्र तथ्यों और परिस्थितियों, आरोपों की गंभीर प्रकृति, अपराध की गंभीरता और आरोपी के आचरण पर विचार करते हुए, वह इस मामले को जमानत देने के लिए उपयुक्त नहीं मानती। मिशेल को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और बाद में दोनों जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी चुनाव पर रोक के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार