Anticipatory Bail सीमित अवधि के लिए निर्धारित नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

Anticipatory Bail सीमित अवधि के लिए निर्धारित नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाले राजनेता मोनिरुल इस्लाम द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने मोनिरुल इस्ला को 2021 में अग्रिम जमानत दी थी।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की मांग वाली एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसे सीमित समय सीमा के लिए निर्धारित नहीं किया जा सकता। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने पूछा, अग्रिम जमानत को चार सप्ताह तक कैसे सीमित किया जा सकता है?

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सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाले राजनेता मोनिरुल इस्लाम द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने मोनिरुल इस्ला को 2021 में अग्रिम जमानत दी थी, लेकिन इसे केवल चार सप्ताह तक सीमित कर दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि न्यायालय ने सहमति व्यक्त की थी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर राजनीतिक बदला लेने के लिए दर्ज की गई थी। 

8 अक्टूबर, 2021 से मेरी रक्षा का आदेश है। आवेदक ने आगे कहा कि विचाराधीन एफआईआर अपराध के दो साल बाद दर्ज की गई थी। पीठ ने राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे से पूछा, मिस्टर काउंसल, क्या आपने सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत के बारे में सुना है?

दवे ने जवाब दिया, लेकिन लॉर्डशिप ने यह भी कहा है कि यह किया जा सकता है। संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। बेंच ने पूछा कि एक बार हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है तो उसे चार सप्ताह तक प्रतिबंधित करने का क्या औचित्य था?' चार हफ्ते बाद हाईकोर्ट ने उसे सरेंडर करने को कहा था। यहां सरेंडर का सवाल कहां है? सीनियर एडवोकेट ने कहा कि इसका औचित्य संभवतः यह हो सकता है कि मामले में आरोप काफी गंभीर हैं।

खंडपीठ ने पलटवार किया, तो अदालत को अग्रिम जमानत पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा, सिर्फ इसलिए कि आपके पास अग्रिम जमानत है, इसका मतलब यह नहीं है कि नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। हम आपको अग्रिम जमानत दे रहे हैं, साथ ही आपको नियमित जमानत के लिए आवेदन करना होगा, जिस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से जमानत के लिए शर्तें तय करने को कहा।

खंडपीठ ने आगे निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता ने नियमित जमानत के लिए आवेदन दिया है, तो इस आदेश से प्रभावित हुए बिना गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, उसी समय, यदि याचिकाकर्ता नियमित जमानत के लिए संबंधित न्यायालय के समक्ष एक उपयुक्त आवेदन दायर करता है, तो इसे कानून के अनुसार और अग्रिम जमानत के अनुदान से प्रभावित हुए बिना अपने गुण के आधार पर माना जाएगा। इस तरह के आवेदन तक आज से चार सप्ताह में जमानत दी जाती है, तब तक वर्तमान आदेश लागू रहेगा।

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