Nadav Lapid ने कहा- ‘The Kashmir Files’ पर अपने बयान पर कायम
यरूशलम। हिंदी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के खिलाफ अपनी टिप्पणियों को लेकर व्यापक आलोचना से प्रभावित हुए बिना इजराइली फिल्मकार और इफ्फी की अंतरराष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष रहे नदव लापिद ने कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं क्योंकि वह जानते हैं कि ‘‘फिल्म के रूप में दुष्प्रचार को किस तरह पहचाना जाता है’’।
‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘भद्दी’ और ‘दुष्प्रचार वाली’ फिल्म कहे जाने पर हो रही आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया में लापिद ने कहा कि खराब फिल्म बनाना अपराध नहीं है, लेकिन विवेक अग्निहोत्री निर्देशित यह फिल्म ‘अधूरी, जानबूझकर तथ्यों से छेड़छाड़ वाली और हिंसक’ है। उन्होंने इजराइली अखबार हारेत्ज को दिये साक्षात्कार में कहा कि अंतरराष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष के रूप में अपने मन की बात कहना उनकी जिम्मेदारी है।
लापिद ने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए, एक दिन इजराइल में भी ऐसी स्थिति बन सकती है और मुझे खुशी होगी कि इस हालात में विदेशी जूरी का प्रमुख जैसे चीजों को देखता है, वैसे बयां करना पसंद करे। एक तरह से कहूं तो मुझे लगा कि मुझे जिस जगह आमंत्रित किया गया है, उसके प्रति मेरी जिम्मेदारी है।’’ गोवा में 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (इफ्फी) के समापन समारोह में सोमवार को लापिद ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को ‘भद्दी’ और ‘दुष्प्रचार वाली’ बताया।
फिल्म का प्रदर्शन 22 नवंबर को इफ्फी के ‘इंडियन पैनोरमा’ वर्ग में किया गया था। ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लेखक-निर्देशक अग्निहोत्री, इसमें अभिनय कर चुके अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत समेत कुछ भाजपा नेताओं के साथ ही भारत में इजराइली राजदूत नाओर गिलोन तथा मध्य-पश्चिम भारत में उसके महा वाणिज्यदूत कोब्बी सोशानी ने लापिद की तीखी आलोचना की थी। जूरी के सदस्यों में शामिल रहे सुदीप्तो सेन ने कहा कि इजराइली फिल्मकार के बयान उनकी निजी राय वाले थे। अपने सत्ता विरोधी बयानों के लिए खबरों में रहने वाले लापिद ने आरोप लगाया कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को महोत्सव की आधिकारिक स्पर्धा में राजनीतिक दबाव में जबरदस्ती शामिल कराया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं गोपनीयता और कानाफूसी में भरोसा नहीं करता। अगर आप मंच पर खड़े हैं और आपसे बोलने को कहा जाता है तो आप किस बारे में बात करेंगे? क्या केवल आपने जो बीच देखे और जो खाना खाया, उसकी बात करेंगे?’’ जब लापिद से पूछा गया कि क्या उन्हें कश्मीर में संघर्ष के बारे में कोई जानकारी है जो वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे तो उन्होंने स्वीकार किया कि वह ज्यादा कुछ नहीं जानते। हालांकि उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा, ‘‘आप लेनी रीफेनस्ताहल की फिल्में भी देख सकते हैं और आप उस अवधि के विशेषज्ञ हुए बिना जानते हैं कि आप क्या देख रहे हैं।’’ जर्मन फिल्मकार लेनी ने नाजी पार्टी को महिमामंडित किया था।
पेरिस में बसे लापिद ने भारत में इजराइली राजनयिकों द्वारा की गयी उनकी आलोचना पर कहा कि राजनयिकों के बयान ‘राजनीतिक’ हैं और उनके देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते। सोशल मीडिया पर बयान की आलोचनाओं और इसके खिलाफ जम्मू में कश्मीरी पंडितों के प्रदर्शन के बीच, लापिद को कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और अभिनेत्री स्वरा भास्कर का समर्थन मिला। उन्होंने दावा किया कि उन्हें भारतीय सिनेमा जगत की अनेक हस्तियों से ईमेल और संदेश मिले हैं जो इस बयान को लेकर खुश हैं। लापिद ने कहा, ‘‘इस फिल्म को भारत सरकार प्रोत्साहित करती है इसलिए मेरा मानना है कि सरकार इस बारे में खुश नहीं है। लेकिन क्या कोई देश केवल उसकी सरकार से माना जाता है ?’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जो कहा वह भारत सरकार के लिए सहज नहीं है, और ना ही इजराइल में बनने जा रही सरकार के लिए, जिसका कि राजदूत प्रतिनिधित्व करते हैं।’’ इजराइल के फिल्मकार डैन वोलमैन और लियोर राज ने भी लापिद के बयान की निंदा की। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी राय व्यक्त करने के तरीके में कुछ बदलाव करेंगे जिससे हंगामा खड़ा हो गया है, लापिद ने कहा कि उन्हें एक निर्देशक के रूप में समारोह में आमंत्रित किया गया था और उन्होंने एक फिल्म के विषय के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कश्मीर में हुए संघर्ष पर राय व्यक्त करने नहीं गया था।’’
इजराइल की समाचार वेबसाइट वाईनेट को दिए एक अन्य साक्षात्कार में लापिद ने कहा था कि इफ्फी के मंच पर भारत के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और इजराइल के राजदूत ने ‘‘एक समान दुश्मन से लड़ने’’ पर चर्चा की। लापिद के दावों पर अपने जवाब में राजदूत गिलोन ने मंगलवार को ट्विटर पर एक खुला पत्र साझा किया और कहा कि लापिद ने उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया।