लखनऊ: प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के परिवहन की सुविधा पर मांगा जवाब
परिवहन की खराब व्यवस्था के कारण कई बार अभ्यर्थी परीक्षा देने से रह जाते हैं वंचित: हाईकोर्ट

विधि संवाददाता, लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के परिवहन की सुविधा के मुद्दे पर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, राज्य सरकार, यूपी राज्य परिवहन निगम, यूपीएसएसएससी से जवाब मांगा है।
न्यायालय ने इन सभी को पांच सप्ताह में जवाबी हलफ़नामा पांच सप्ताह में दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने रेलवे को भी मामले में जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 जनवरी 2023 की तिथि नियत की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया है कि यूपीएसएसएससी द्वारा करवाई गई पीईटी परीक्षा में बड़ी संख्या ऐसे अभ्यर्थियों की रही जो यथोचित परिवहन व्यवस्था न होने के कारण परीक्षा में भाग नहीं ले सके। याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार और परिवहन निगम बताए कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने की स्थिति में परिवहन के बावत क्या कोई पॉलिसी बनाई गई है।
न्यायालय ने रेलवे को भी आदेश दिया है कि उसने भी यदि ऐसी कोई पॉलिसी बनाई हो तो कोर्ट को अवगत कराएं। न्यायालय ने राज्य सरकार, परिवहन निगम, यूपीएसएसएससी तथा रेलवे को यह भी निर्देश दिया है कि यदि इस विषय पर उनके पास कोई सलाह हो तो उसे भी अपने जवाबी हलफनामे में उद्धत करें।