डेंगू का डर

चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम उपलब्धियों के बावजूद दुनिया कई बीमारियों से जूझने के लिए अभिशप्त है। इन बीमारियों के उन्मूलन का उपाय अभी तक नहीं ढूंढ़ा जा सका है। यह बात डेंगू पर भी लागू होती है। मानसून के बाद मच्छर जनित बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। हर साल की तरह इस साल …
चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम उपलब्धियों के बावजूद दुनिया कई बीमारियों से जूझने के लिए अभिशप्त है। इन बीमारियों के उन्मूलन का उपाय अभी तक नहीं ढूंढ़ा जा सका है। यह बात डेंगू पर भी लागू होती है। मानसून के बाद मच्छर जनित बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी उत्तर प्रदेश में डेंगू का कहर तेजी से फैल रहा है। प्रदेश में 24 घंटे के दौरान डेंगू के 221 नए मामले दर्ज किए गए। इसमें सबसे अधिक 63 मामले राजधानी लखनऊ में सामने आए हैं।
लखनऊ में डेंगू के बढ़ते मामलों की वजह से अस्पतालों में बेड की मारामारी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में इस साल 1 जनवरी से अब तक डेंगू के 8,011 मामले सामने आए और 10 लोगों की मौत हुई है। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग की चिंता का कारण बनी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो 2021 के मुक़ाबले इस बार डेंगू के मामलों में काफी कमी है। वर्ष 2021 में 1 जनवरी से 4 नवंबर तक डेंगू के 24,623 मामले आए थे जिसमें 29 की मौत हुई थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोडल अफसरों को डेंगू की रोकथाम के लिए अधिकारियों को फील्ड में जाने का आदेश दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों में सर्विलांस की गतिविधियां बढ़ाई जाने, प्रदेश के सभी नगर निगम, स्थानीय निकायों को साफ सफाई, फॉगिंग, एंटी लारवा स्प्रे पर विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए।
दरअसल यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे संक्रमित नहीं होता, पर एडीस मच्छरों के जरिए इसका फैलाव दूर-दूर तक हो जाता है। डेंगू से बचने का सबसे आसान तरीका है कि मच्छरों के काटने से पूरी तरह बचाव किया जाए और यह केवल मच्छरों के स्रोत को नष्ट करके ही किया जा सकता है। हालांकि अपनी खुद की सावधानी बरतना हमेशा बेहतर होता है।
डेंगू, मस्तिष्क ज्वर जैसी बीमारियों से निपटना है तो सार्वजनिक चिकित्सा व्यवस्था को और सक्षम बनाना होगा। साथ ही आपात अवसरों के मद्देनजर निजी चिकित्सा संस्थाओं के लिए भी आचार संहिता बनानी होगी। रोगियों में जब बुखार के समान लक्षण देखने को मिल रहे हैं तो चिकित्सा विशेषज्ञों को सही सलाह देनी चाहिए। रोग की पहचान कर सटीक चिकित्सा करने की जिम्मेदारी सरकार की है। जब तक सरकारी स्तर पर रोग की रोकथाम, सही उपचार और लोगों में जागरूकता फैलाने का सार्थक प्रयास नहीं होगा तब तक इसे लेकर लोगों में भय कम नहीं होगा।