Kanpur AQI: एनसीआर के बाद कानपुर की हवा सबसे खराब, फिर रेड जोन में शहर
कानपुर, अमृत विचार। एनसीआर के बाद प्रदेश में कानपुर की हवा सबसे खराब हो गई है। एक दिन कुछ राहत के बाद प्रदूषण ने शहर को फिर लाल घेरे में ला खड़ा किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट में शुक्रवार को जारी एक्यूआई में अब तक की सबसे ज्यादा खराब स्थिति दर्शाई गई …
कानपुर, अमृत विचार। एनसीआर के बाद प्रदेश में कानपुर की हवा सबसे खराब हो गई है। एक दिन कुछ राहत के बाद प्रदूषण ने शहर को फिर लाल घेरे में ला खड़ा किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट में शुक्रवार को जारी एक्यूआई में अब तक की सबसे ज्यादा खराब स्थिति दर्शाई गई है। यह आंकड़ा 311 तक पहुंच गया है।
दिल्ली में प्रदूषण की स्टेज खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुकी है। चार सौ के पार आंकड़ा केवल देश की राजधानी का ही नहीं है। बल्कि उत्तर प्रदेश के वे जिले भी उस आंकड़े के आसपास हैं, जो दिल्ली से सटे हैं। एनसीआर इलाकों में 423 एक्यूआई के साथ सबसे ज्यादा स्थिति खराब नोएडा की है। वहीं ग्रेटर नोएडा में दूसरे नंबर पर है। गाजियाबाद में 416 एक्यूआई रिकार्ड किया गया है।
यूपी के तीनों एनसीआर इलाकों में सांस लेना मुश्किल हो गया तो वहीं हालात कानपुर के भी ठीक नहीं है। यहां भी एक्यूआई का आंकड़ा प्रदूषण की स्थिति को बहुत खराब दर्शा रहा है। मंगलवार और बुधवार को आंकड़ा 306 था। उसके बाद एक्यूआई घटकर तीन सौ के नीचे पहुंच गई थी। लेकिन आंकड़ों में मात्र एक दिन यह राहत दिखी और गुरुवार को फिर एक्यूआई रेड जोन में पहुंच गया। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार 311 एक्यूआई का आंकड़ा हवा को बहुत खराब स्थिति में दर्शाता है। इस खतरनाक आंकड़े से सबक लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को राहत संबंधित कार्य करने चाहिए।
राजधानी में भी स्थिति हवा खराब
कानपुर से मात्र सौ किमी की दूरी पर प्रदेश की राजधानी है। यहां भी प्रदूषण की स्थिति खराब है। यहां एक्यूआई 215 दर्ज किया गया है। इसके अलावा बरेली में भी एक्यूआई 219 दर्ज किया गया है। खराब प्रदूषण में बुलंदशहर भी शामिल है। ये तीनो जिले ऑरेंज जोन में हैं, जहां प्रदूषण और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
खस्ताहाल सड़कें बढ़ा रहीं प्रदूषण
शहर की खस्ताहाल सड़कें प्रदूषण बढ़ा रही हैं। शहर की कई बड़ी सड़कों से लेकर गलियों तक की हालत खराब है। वाहन दौड़ने से धूल उड़ती है और हवा में घुलकर प्रदूषण को बढ़ावा देती है। वहीं सरकारी वाहनों से लेकर कई निजी वाहनों में प्रदूषण युक्त धुआं एक्यूआई के रेट को तेजी से बढ़ा रहा है। इसके बावजूद न ही नगर निगम धूल को रोकने के लिए छिड़काव कर रहा है और न ही परिवहन विभाग की ओर से कोई विशेष कार्रवाई की जा रही है।
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