आज का शब्द: निरोग और नरेश सक्सेना की कविता ‘नीम की पत्तियां’

हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है निरोग जिसका अर्थ है 1. जिसे कोई रोग न हो; स्वस्थ। कवि नरेश सक्सेना ने अपनी कविता नीम की पत्तियां में इस शब्द का प्रयोग किया है। कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की ये कोई कविता क्या बताएगी जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती …
हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है निरोग जिसका अर्थ है 1. जिसे कोई रोग न हो; स्वस्थ। कवि नरेश सक्सेना ने अपनी कविता नीम की पत्तियां में इस शब्द का प्रयोग किया है।
कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की
ये कोई कविता क्या बताएगी
जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती है
उस बकरी से पूछो
पूछो उस माँ से
जिसने अपने शिशु को किया है निरोग उन पत्तियों से
जिसके छप्पर पर उनका धुआँ
ध्वजा की तरह लहराता है
और जिसके आँगन में पत्तियाँ
आशीषों की तरह झड़ती हैं
कभी नीम के सफ़ेद नन्हें फूलों की गंध अपने सीने में भरी ?
कभी उसकी छाल को घिसकर अपने घावों पर लगाया ?
कभी भादों के झकोरों में उन हरी कटारों के झौरों को
झूमते हुए देखा ?
नहीं!
तब तो यह कविता मेरा नाम ही धराएगी
जिसकी कोई पंक्ति एक हरी पत्ती-भर छाया भी दे नहीं पाएगी
वो क्या बताएगी
कि कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की।
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