मां चन्द्रिका देवी धाम : तीन वर्ष तक बर्बरीक ने की थी तपस्या, भक्तों की पूरी होती है मनोकामना

मां चन्द्रिका देवी धाम : तीन वर्ष तक बर्बरीक ने की थी तपस्या, भक्तों की पूरी होती है मनोकामना

अमृत विचार , लखनऊ । राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। जहां एक तरफ यहां की इमारतें गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं वहीं दूसरी तरफ यहां कई ऐसे तीर्थ स्थल भी हैं, जिनसे लोगों की अगाध अस्था जुड़ी है। जिसमें से एक तीर्थ स्थल है लखनऊ का चंद्रिका देवी मंदिर। यह …

अमृत विचार , लखनऊ । राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। जहां एक तरफ यहां की इमारतें गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं वहीं दूसरी तरफ यहां कई ऐसे तीर्थ स्थल भी हैं, जिनसे लोगों की अगाध अस्था जुड़ी है। जिसमें से एक तीर्थ स्थल है लखनऊ का चंद्रिका देवी मंदिर। यह मंदिर शहर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,गोमती नदी के तट पर बने चंद्रिका देवी मंदिर की महिमा अपरंपार है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

चंद्रिका देवी धाम के इस पवित्र भूभाग की तीन दिशाओं उत्तर,पश्चिम और दक्षिण में गोमती नदी की पावन जलधारा प्रवाहित होती है। वहीं पूर्व की दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है। बताया जा रहा है कि वर्षा काल में जब गोमती नदी का जल स्तर बढ़ता है तो महीसागर संगम तीर्थ में सर्वतीर्थमय नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ का पवित्र जल नदी की जलधारा के साथ पूर्व दिशा में प्रवाहित होता हुआ,दक्षिण दिशा में पुन: आदिगंगा से जाकर उस स्थान पर मिल जाता है।

नौ दुर्गाओं की सिद्धपीठ मां चंद्रिका देवी धाम कठवारा की यह पुण्यभूमि आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व तक सामान्य जनों के लिए अज्ञात थी, यानी की इस जगह की जानकारी नहीं थी, उस समय यहां एक घना जंगल था। जिसमें पशु चरा करते थे, बताया जा रहा है कि उसी दौर की बात है जब एक दिन यहां से भैंसे जंगल से चरकर वापस अपने घरों को लौटी तो वह स्वच्छ जल से नहाई हुई थी। इतना ही नहीं उनकी सीगों पर कमल पुष्प की लतायें लिपटी हुई थी। इसके बाद ग्रामवासियों ने इस स्थान को ढूंढु निकाला। यह भी बताया जा रहा है कि यहां पर पुराने नीम के पेड़ के कोटर में नवदुर्गाओं के साथ उनकी वेदियां चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं।

इस स्थान पर ही बर्बरीक ने तीन वर्षों तक अनवरत नव दुर्गाओं की पूजा की। आज के समय में श्याम प्रभु के करोड़ भक्त पूजा करते हैं,उनमें आस्था रखते हैं। उन्हीं का नाम बर्बरीक था और उनकी तपोस्थली भी यह तीर्थ स्थल है। मां चंद्रिका देवी मंदिर के प्रति लोगों की आगाध आस्था की वजह से हर महीने अमावस्या पर यहां मेला भी लगता है।

जिसमें भक्तों की भी काफी भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा नवरात्रि में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। बहुत से भक्त कोई भी नया काम शुरू करने से पहले मां के दरबार में माथा टेकने जरूर आते हैं। मां के दरबार में आकर कोई भी खाली हाथ नही जाता। भक्त अपनी मनोकामना लेकर मां चंद्रिका देवी के दरबार में आकर मन्नत मांगते हैं। वहीं मनोकामना पूरी होने के बाद मां को चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर आर्शीवाद लेते हैं,वहीं कई भक्त मंदिर के परिसर में घंटा भी बांधते हैं।

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