रामपुर: विद्वानों ने प्रसिद्ध शायर शाद आरफी के जीवन से कराया रुबरू

रामपुर, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी लखनऊ के तत्वावधान में रविवार को प्रसिद्ध शायर शाद आरफी की इंकलाबी शायरी और दौरे हाजिर में इसकी अहमियत विषय पर हुए एक दिवसीय सेमिनार में विद्वानों ने शाद आरफी की जिंदगी से रुबरू कराया। उनका असल नाम अहमद अली खां था और ‘शाद’ तख़ल्लुस करते थे। 1900 …

रामपुर, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी लखनऊ के तत्वावधान में रविवार को प्रसिद्ध शायर शाद आरफी की इंकलाबी शायरी और दौरे हाजिर में इसकी अहमियत विषय पर हुए एक दिवसीय सेमिनार में विद्वानों ने शाद आरफी की जिंदगी से रुबरू कराया।

उनका असल नाम अहमद अली खां था और ‘शाद’ तख़ल्लुस करते थे। 1900 में लोहारू स्टेट में पैदा हुए। शाद के पिता आरिफुल्लाह खां दीनी तालीम हासिल करने के उद्देश्य से अफगानिस्तान से रामपुर आये थे, बाद में रामपुर को ही अपना निवास बना लिया, शादी भी यहीं की।

माला रोड स्थित सुहाग पैलेस में रविवार को हुए सेमिनार में विद्वानों ने कहा कि शाद आरफी के पिता लोहारू में थानेदार की हैसियत से रहे, शाह की पैदाइश भी यहीं हुई। उनके पिता 1909 में नौकरी से सेवानिवृत हो कर रामपुर आ गये।

शाद अभी अठ्ठारह वर्ष ही के थे कि उनके पिता का देहांत हो गया जिसकी वजह से उनके घर में आर्थिक परेशानियों का दौर शुरू हो गया। शाद को अपनी शिक्षा दसवीं कक्षा में ही छोड़नी पड़ी और छोटी-मोटी नौकरियां करके घरेलू ज़रूरतें पूरी करने लगे। हालांकि शाद आरफी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से दूरस्थ शिक्षा का सिलसिला जारी रखा।

शाद ने रामपुर और रामपुर से बाहर छोटी छोटी नौकरियां कीं लेकिन वह आख़िरी उम्र तक आर्थिक तंगी का शिकार रहे। शाद का वैवाहिक जीवन भी अप्रिय अनुभवों से भरा रहा। आठ फरवरी 1964 को रामपुर में उन्होंने आखिरी सांस ली।

शाद एक संवेदनशील व्यक्ति थे, उनकी शायरी में पायी जाने वाली संवेदना खुद उनकी ज़िंदगी के अनुभवों से भी आयी है और उनके आस पास बिखरी हुई सामाजिक व राजनैतिक असमानताएं भी। सेमिनार का संचालन रिजवान अहमद सिद्दीकी ने की।

एसएम आदिल हसन ने सभी का आभार जताया। इस अवसर पर डा. हसन अहमद निजामी, मास्टर असरार अहमद, डा. रजिया परवीन, खलील अहमद खान ,गजंफर जैदी, सूफी अब्बन, फैसल शाह खां समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

इन्होंने पढ़े शोध पत्र-
डा. शरीफ अहमद कुरैशी, डा. अतहर मसूद खां ,मंजर वाहिदी, डा. अलिफ नाजिम, डा. तबस्सुम साबिर ,गजाला बी,मजहर रामपुरी,गुलनाज बी प्रोग्राम की निजामत रिजवान अहमद सिद्दीकी ने की। आखिर में सचिव एस एम आदिल हसन ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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