देहरादून: भगवान श्री कृष्ण के श्राप के चलते इस गांव का करोड़पति भी एक दिन के लिए मांगता है भिक्षा

देहरादून, अमृत विचार। उत्तराखंड के इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के श्राप के चलते साल में एक बार यहां के क्षेत्रवासी भीख जरूर मांगते हैं। यह मंदिर टिहरी जिले के प्रतापनगर में स्थित सेम मुखेम मंदिर है जिसकी अपनी पौराणिक महत्ता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस …

देहरादून, अमृत विचार। उत्तराखंड के इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के श्राप के चलते साल में एक बार यहां के क्षेत्रवासी भीख जरूर मांगते हैं। यह मंदिर टिहरी जिले के प्रतापनगर में स्थित सेम मुखेम मंदिर है जिसकी अपनी पौराणिक महत्ता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र का हर कोई साल में एक बार भीख जरूर मांगता है, फिर चाहे वह करोड़पति ही क्यों न हो।

प्रतापनगर में सेम मुखेम के जंगल के बीचों-बीच बने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस मन्दिर में पहुंचने वाला सच्चा भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता। मन्दिर के पास ही पानी का कुंड है माना जाता है कि इस कुंड का पानी पीने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र के लोग साल में एक बार भिक्षा जरूर मांगते हैं इस बारे में तमाम कहानियां प्रचलित हैं ।

किवदन्तियों के अनुसार, बहुत पहले भगवान श्रीकृष्ण ने साधू का वेष रखकर इस क्षेत्र के राजा गंगू रमोला से 2 गज जमीन मांगी थी, लेकिन राजा ने अपनी हठ धर्मिता के चलते उन्हें जमीन देने के इनकार कर दिया। तब साधू रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा को श्राप दिया था कि उसके कुटुंब का हर व्यक्ति भिक्षा मांगेगा। तब से लेकर आज भी सेम मुखेम के लोग साल में एक बार भीख जरूर मांगते हैं, चाहे वह कितना धनी क्यों न हो। तब राजा गंगू रमोली ने अपनी पत्नी के कहने पर साधू वेषधारी श्रीकृष्ण से माफी मांगी। भगवान श्रीकृष्ण ने राजा की पत्नी से खुश होकर वरदान मांगने को कहा। राजा की कोई संतान नहीं थी तो राजा की पत्नी ने वरदान के रूप में भगवान से पुत्र का वर मांगा। जिसके बाद राजा के दो पुत्र हुए, जिनका नाम बिन्दुआ और सिद्धुआ रखा गया।

एक अन्य कहानी ये भी कहती है कि जब बाल्यकाल में कालंदी नदी पर भगवान श्रीकृष्ण की गेंद गिरी थी तो भगवान ने कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम मुखेम जाने को कहा था। टिहरी जिले में स्थित सेम मुखेम देश के 11वें और उतराखंड के 5वें धाम के रूप में भी पूजा जाता है। स्थानीय लोग सेम मुखेम को भगवान श्रीकृष्ण की तपस्थली के रुप में भी जानते हैं।

वहीं माना जाता है कि बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने हिडिम्बा राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था उस वक्त हिडिम्बा के शरीर के हिस्से जिन स्थानों पर गिरे, उन गांवों का नाम भी हिडिम्बा के नाम से ही पड़ा। आज भी सेम मुखेम मन्दिर के मैदान में पशुओं की पत्थरशिला बनी है जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्पकर्प योग होता है, वे लोग चांदी के बने दो सर्प इस मंदिर में चढ़ाते हैं, इससे उन्हें अकाल मृत्यु से निजात मिलती है।

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