रायबरेली: शिक्षा और संस्कार एक-दूसरे के पूरक
रायबरेली। संस्कार घर परिवार और माता पिता से मिलता है, लेकिन शिक्षा के बिना संस्कार की परिकल्पना नहीं किया जा सकती है। सभी अभिभावकों को अपनी जिम्मेवारी समझने और संस्कार को पहली प्राथमिकता देने की जरूरत है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में अनुशासन, आज्ञाकारिता और विनम्रता का समावेश हो। यह भाव शुक्रवार को …
रायबरेली। संस्कार घर परिवार और माता पिता से मिलता है, लेकिन शिक्षा के बिना संस्कार की परिकल्पना नहीं किया जा सकती है। सभी अभिभावकों को अपनी जिम्मेवारी समझने और संस्कार को पहली प्राथमिकता देने की जरूरत है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में अनुशासन, आज्ञाकारिता और विनम्रता का समावेश हो। यह भाव शुक्रवार को सरेनी के सरस्वती बाल मंदिर लखनापुर के अभिभावक मेले में व्यक्त किए गए।
मेले में उपस्थित अभिभावकों एवं शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए प्रबंधक राकेश त्रिवेदी कहा है कि बच्चों का शैक्षिक एवं संस्कारों के विकास में दोनों की समान भूमिका होती है। शिक्षक विद्यालय में उनके ज्ञान को बढ़ाता है तो अभिभावक घरों में अपने-अपने पाल्यों की पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा करने में भूमिका अदा करते हैं। इसके पूर्व विद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती बन्दना के साथ अभिभावक मेले का शुभारंभ किया।लगभग एक घण्टे तक अभिभावक, आचार्य संवाद भी हुआ।
इस मौके अभिभावकों में जगन्नाथ सिंह, बसंतलाल, अजीतप्रताप सिंह, रमेश कुमार, राम जागेश्वर, मो.नईम को सम्मानित भी किया गया।इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य त्रिभुवन सिंह, दिनेशपाल सिंह, रमेश तिवारी आलोक , अमित, सीता, पूनम, आंचल,अंजली आदि मौजूद रहे। अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
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