हल्द्वानी: खेल महाकुंभ में खिलाड़ियों के भविष्य के साथ ‘खेल’
हल्द्वानी, अमृत विचार। पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब, सरकार की खेल महाकुंभ की यह योजना इस कहावत को सही साबित कर रही है। एक तरफ तो सरकार युवाओं को नशे व मोबाइल की दुनिया से दूर रखने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर इस प्रकार के आयोजन करके उनके भविष्य के …
हल्द्वानी, अमृत विचार। पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब, सरकार की खेल महाकुंभ की यह योजना इस कहावत को सही साबित कर रही है। एक तरफ तो सरकार युवाओं को नशे व मोबाइल की दुनिया से दूर रखने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर इस प्रकार के आयोजन करके उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है।
जिले में हर साल खेल महाकुंभ के तहत न्याय पंचायत, विकासखंड और जिला स्तर पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसकी तैयारी के लिए सीडीओ संदीप तिवारी की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक भी बुलाई गई है। इसमें युवा कल्याण, खेल, शिक्षा, पंचायतीराज विभाग की ओर से विभिन्न आयु वर्ग की खेल प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं।
इन खेलों को कराने की जिम्मेदारी युवा कल्याण विभाग एवं प्रांतीय रक्षक दल की है। इसके लिए मुख्यालय से विभाग को प्रति वर्ष 15 से 20 लाख का बजट भी जारी होता है। लेकिन इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को केवल मैडल व प्रसस्तिपत्र के अलावा कुछ नहीं मिलता।
पदक विजेता खिलाड़ियों का कहना है कि सालों से इसमें विभिन्न खेलों में पदक जीतते आ रहे हैं। लेकिन इसमें मिलने वाले पदक व प्रसस्तिपत्र का उनको भविष्य में कोई लाभ नहीं दिया जाता है। कई बार वह इनका उपयोग सरकारी नौकरी में कोटा पाने व खेल कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए करते हैं तो उनको मना कर दिया जाता है।
खेल महाकुंभ का उद्देश्य युवाओं को विसंगतियों से दूर रखना है। हालांकि इसमें मिलने वाला पदक व प्रसस्तिपत्र मान्य नहीं है। लेकिन हमारी पूरी कोशिश रहती है कि खिलाड़ी इससे बेहतर प्रदर्शन करें। – प्रदीप जोशी, युवा कल्याण एवं प्रांतीय दल अधिकारी
मैं 2017 से खेल महाकुंभ में प्रतिभाग कर रहा हूं और कई जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय पदक भी जीत चुका हूं, लेकिन मुझे अभी तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। अब तो मेरी उम्र भी आवेदन के लिए अधिक हो गई है। – मनोज मेहता, एथलीट
राज्य स्तर हो या जिला स्तर, खेल महाकुंभ में जीतने के बाद मिलने वाले प्रसस्तिपत्र का कहीं कोई उपयोग नहीं होता है। इससे हमें काफी नुकसान हो रहा है।
– कार्तिक पलड़िया, एथलीट
इतने पदक जीतने के बाद अगर कोई लाभ नहीं दिया जाता है तो क्या फायदा। पदक केवल घर में सजाने के लिए नहीं होते हैं।
– चंदन पालीवाल, जैवलीन थ्रोवर
राज्य स्तर में बेहतरीन प्रदर्शन करके नाम रौशन करने का खिताब मिलता है, लेकिन जब इसका उपयोग करने के लिए कहीं जाते हैं तो मान्य नहीं बोलकर मना कर दिया जाता है।
– रौशन राम, कब्बड़ी खिलाड़ी
कई बार खेल निदेशालयों व सरकारी नौकरियों में कोटा पाने के लिए इन इनामों का उपयोग किया लेकिन मान्य नहीं बोलकर कोई लाभ नहीं मिल पाया है।
– दीपक सिंह देव, फुटबॉल खिलाड़ी