यूपीसीडा भर्ती घोटाला: जांच में सहयोग के लिए नोडल अफसर नामित
कानपुर, अमृत विचार। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में हुए भर्ती घोटाले की जांच विजिलेंस ने शुरू कर दी है। जांच अधिकारी द्वारा मांगी जाने वाली हर जानकारी प्राधिकरण से उपलब्ध होती रहे इसके लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने प्रबंधक कार्मिक को नोडल अधिकारी नामित किया है। नोडल अधिकारी ने विजिलेंस के जांच अधिकारी को …
कानपुर, अमृत विचार। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में हुए भर्ती घोटाले की जांच विजिलेंस ने शुरू कर दी है। जांच अधिकारी द्वारा मांगी जाने वाली हर जानकारी प्राधिकरण से उपलब्ध होती रहे इसके लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने प्रबंधक कार्मिक को नोडल अधिकारी नामित किया है। नोडल अधिकारी ने विजिलेंस के जांच अधिकारी को कुछ जरूरी पत्रावलियां उपलब्ध करा दी है। जांच अधिकारी ने समस्त पत्रावलियों को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। जल्द ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसके वर्मा,संयुक्त प्रबंध निदेशक तपेंद्र प्रसाद और प्रभारी अधिकारी कार्मिक अजीत सिंह को नोटिस जारी कर बयान के लिए बुलाने की तैयारी विजिलेंस की ओर से की जा रही है। विजिलेंस उन अफसरों से भी पूछताछ करेगी जो चयन समिति के सदस्य थे।
2008-2009 में प्राधिकरण में हुई भर्तियों में जबरदस्त घोटाला हुआ था। आधा दर्जन ऐसे अभ्यर्थी थे जो साक्षात्कार के दिन उपस्थित ही नहीं थे या उनका नाम नहीं था, लेकिन बाद में नाम बढ़ा दिया गया और उन्हें नंबर दे दिए गए। इसी तरह 12 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले थे। यदि प्रमाण पत्रों का सत्यापन हो जाता तो शायद यह नौबत न आती। जिनके प्रमाण पत्र फर्जी थे उन्हें नियुक्ति पत्र ही नहीं मिलता। इसी तरह डेढ़ दर्जन ऐसे लोगों को नियुक्ति दी गई जिनके लिए पद ही रिक्त नहीं था। जो पद चार से पांच साल बाद खाली होने वाले थे उन पर भी गलत तरीके से न सिर्फ नियुक्तियां हुईं बल्कि साक्षात्कार के लिए बनी किसी भी चयन समिति में डीएम के प्रतिनिधि को बतौर सदस्य नहीं रखा गया। कई पद ऐसे थे जिनके साक्षात्कार के बाद खाली मार्कलिस्ट पर सदस्यों ने हस्ताक्षर किए और बाद में बंद कमरे में अभ्यर्थियों को मनमाफिक तरीके से अंक दिए गए। ये मामले 2017 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग की जांच में खुल चुके हैं।
इस आपराधिक कृत्य में कौन- कौन दोषी है। किसका क्या दोष था आदि जानकारियां जांच रिपोर्ट में हैं, लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब मामले को लटकाने के लिए विजिलेंस की कानपुर इकाई को जांच दे दी गई है। हालांकि जांच टीम ने जांच शुरू कर दी है पर यह जांच कब पूरी होगी कह पाना कठिन है। फिलहाल जांच के दौरान जांच टीम जो भी पत्रावली मांगे वह उसे उपलब्ध हो जाए इसके लिए प्राधिकरण के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने प्रबंधक कार्मिक को नोडल अधिकारी नामित कर दिया है।
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