मध्य प्रदेश: HC ने बलात्कार, हत्या के मामले में सजा काट रहे व्यक्ति को किया रिहा
इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धार जिले में महिला से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास सुनाने का निचली अदालत का फैसला पलट दिया है। अदालत ने पिछले 10 साल से जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने मामले में …
इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धार जिले में महिला से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास सुनाने का निचली अदालत का फैसला पलट दिया है। अदालत ने पिछले 10 साल से जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने मामले में डीएनए मिलान को लेकर पुलिस के जांच अधिकारी की लापरवाही पर तीखी टिप्पणी करते हुए उसके खिलाफ तहकीकात का आदेश भी दिया है।
इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर और न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने धार की एक फास्टट्रैक अदालत के वर्ष 2012 के फैसले के खिलाफ जेल में बंद व्यक्ति की अपील स्वीकार करते हुए बुधवार को यह आदेश जारी किया। पीठ ने कहा कि बलात्कार के बाद हत्याकांड की शिकार महिला के हाथ से एक व्यक्ति के बाल बरामद हुए थे और वैज्ञानिक अधिकारी की स्पष्ट राय थी कि इसकी पुष्टि के लिए डीएनए मिलान जरूरी है कि ये बाल क्या उसी व्यक्ति के हैं, जिसे इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस राय के बावजूद जांच अधिकारी द्वारा डीएनए मिलान के कोई प्रयास नहीं किए गए जिससे मामले में घोर अन्याय हुआ। अदालत ने कहा कि लगता है कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने और सबूत जमा करने की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जांच अधिकारी ने अपराध विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट को एक तरह से उदासीन बना दिया।
अधिकारियों ने बताया कि 2011 में धार जिले में खेत में बलात्कार के बाद पत्थर से सिर कुचलकर एक महिला की हत्या कर दी गई थी। बचाव पक्ष ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि इस मामले में उसके मुवक्किल को झूठा फंसाकर गिरफ्तार किया गया था और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित प्रकरण की कड़ियां जोड़ने में अभियोजन नाकाम रहा।
ये भी पढ़ें – आजाद ने इस्तीफा पर सोनिया से कहा- पार्टी पूरी तरह से बर्बाद हो गई