मुरादाबाद : 500 क्रांतिकारियों ने कर दिया था अंग्रेजों की नाक में दम, यहां पढ़ें पूरी कहानी
मुरादाबाद,अमृत विचार। देश को आजादी दिलाने में शहर के स्वतंत्रता सेनानियों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। उस वक्त यहां के 500 स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इसके लिए उन्हें जेल जाने के साथ जुर्माना भी चुकाना पड़ा था। इन सेनानियों को हर साल स्वतंत्रता दिवस पर याद किया …
मुरादाबाद,अमृत विचार। देश को आजादी दिलाने में शहर के स्वतंत्रता सेनानियों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। उस वक्त यहां के 500 स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इसके लिए उन्हें जेल जाने के साथ जुर्माना भी चुकाना पड़ा था। इन सेनानियों को हर साल स्वतंत्रता दिवस पर याद किया जाता है। अंग्रेजों की गुलामी के दौर में उनके खिलाफ शहर में भी अधिवेशन हुआ था। इसमें गांधी जी, मौलाना मोहम्मद अली, जवाहर लाल नेहरू व शौकत अली जैसी शख्सियत भी शामिल हुई थीं। इस अधिवेशन के बाद शहर में सभी धर्मों के लोग एकजुट हो गए थे। सभी आजादी की जद्दोजहद में लगे थे। जिसे जब मौका मिलता, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद कर देता था। उस दौर में शहर के 500 स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी थे जो स्वतंत्रता आंदोलन के
चलते जेल भी गए और जुर्माना भी भरा था।
राम अवतार दीक्षित ने जला दिया था डाकघर
राम अवतार दीक्षित मूल रूप से जनपद बिजनौर के धामपुर कस्बे के गांव जैतरा के रहने वाले थे। उस दौर में राम अवतार मुरादाबाद आकर बस गए थे। 1942 में उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ मुरादाबाद की सड़कों पर जुलूस निकालकर डाकघर में आग लगा दी थी। रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ भी की थी। इसके लिए उन्हें दो साल की सजा काटनी पड़ी थी। उन्होंने जेल में कैदियों को दिए जाने वाले खराब भोजन का अकेले ही विरोध किया था। इस पर उन पर कोड़े बरसाए गए थे। इन सब के बावजूद भी वह देश को आजादी दिलाने के लिए पीछे नहीं हटे थे।
दो बार जेल में डाल दिए गए थे अब्दुल कदीर
शहर के कटार शहीद के रहने वाले हाफिज अब्दुल कदीर को स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा गांधी जी से मिली थी। इसके बाद अब्दुल कदीर अमरोहा गेट स्थित एक होटल में लोगों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बैठकें करते थे। इसकी जानकारी अंग्रेजों को मिली तो उन्होंने कदीर समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद कदीर तीन बार जेल गए थे। वह 2 जनवरी से 15 जून 1932 तक फिरोजपुर, 17 अक्टूबर 1930 से 6 मार्च 1931 तक मुरादाबाद की जेल में रहे थे। जेल में रहते हुए भी अब्दुल कदीर ने अग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।
हरिप्रसाद शर्मा ने अंग्रेजी झंडा उतार कर फहरा दिया था तिरंगा
छजलैट थाना क्षेत्र के गांव सदरपुर-मतलबपुर के रहने वाले हरिप्रसाद शर्मा जुझारू स्वतंत्रता सेनानी थे। 1941 में कांठ की रियासत में अंग्रेजों का कैंप लगा था। रियासत के गेट पर यूनियन जैक लगा था। हरिप्रसाद देर रात अपने साथियों के साथ वहां पहुंचे और एक के ऊपर एक खड़े होकर अंग्रेजी झंडा उतार कर तिरंगा फहरा दिया था और अंग्रेजी झंडा फाड़ दिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने हरिप्रसाद को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए थे। बाद में अंग्रेजी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने छह महीने की सजा काटी थी।
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