शिया वक्फ बोर्ड ने शिवालय को बनाया वक्फ संपत्ति, तत्कालीन चेयरमैन और मुतवल्ली अब्बास अमीर ने हड़पी हिंदू संपत्ति
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से लखनऊ के एक शिवालय को वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज करवा दिया गया। इसी शिवालय से मिली हुई जमीन शिया वक्फ की सम्पत्ति है। शिया वक्फ की सम्पत्ति खसरा संख्या 1943 है, जबकि शिवालय की जमीन खसरा संख्या 1944 है। शिवालय की जमीन को …
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से लखनऊ के एक शिवालय को वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज करवा दिया गया। इसी शिवालय से मिली हुई जमीन शिया वक्फ की सम्पत्ति है। शिया वक्फ की सम्पत्ति खसरा संख्या 1943 है, जबकि शिवालय की जमीन खसरा संख्या 1944 है। शिवालय की जमीन को शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज कराने में पूर्व मुतवल्ली अब्बास अमीर और शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जीतेन्द्र नारायण त्यागी शामिल हैं।
वक्फ बचाओ आन्दोलन के अध्यक्ष शमील शम्सी ने शुक्रवार को वक्फ दरोगा मीर वाजिद अली के मुतवल्ली के पुत्र सैय्यद मुस्तफा अली और महविश एडवोकेट के साथ पत्रकारों से मुलाकात की। शमील शम्सी ने आरोप लगाया कि इस वक्फ के पूर्व मुतवल्ली अब्बास अमीर और शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जीतेन्द्र नारायण त्यागी ने गलत तरीके से शिवालय को वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज करवा दिया और वक्फ सम्पत्ति के साथ ही उससे लगी हुई हिन्दू सम्पत्ति को हड़प लिया।
शमील शम्सी ने बताया कि इस घोटाले में आरएसएस के एक पूर्व प्रचारक भी शामिल हैं। बहुत जल्द उनका भी पर्दाफाश करेंगे। शमील ने कहा कि शिया मुसलमान किसी भी धर्म की इबादगाह पर कभी कब्जा नहीं करते हैं, लेकिन अब्बास अमीर और जीतेन्द्र त्यागी ने जो हरकत की है, वह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। इस सम्बन्ध में बहुत जल्द मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने और शिवालय को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आन्दोलन छेड़ने की बात कही है।
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए वर्ष 2011 में शिया वक्फ बोर्ड ने मुतवल्ली को हटा दिया और परिवार से बाहर के अब्बास अमीर को नियम विरुद्ध मुतवल्ली बना दिया। अब्बास अमीर और तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जीतेन्द्र नारायण त्यागी ने शिया वक्फ सम्पत्ति के साथ ही शिवालय की एक बीघा दस बिस्वा जमीन को भी शिया वक्फ बोर्ड का हिस्सा बना दिया।
1862 के राजस्व रिकॉर्ड में हिंदू शिवालय दर्ज
एडवोकेट महविश ने बताया कि 1862 के राजस्व रिकार्ड में हिन्दू शिवालय दर्ज है, जबकि वक्फ बोर्ड 1908 में बना था। उन्होंने बताया कि धारा 35 में शिवालय को वक्फ में चढ़ाया गया है। मजे की बात यह है कि वक्फ के कागजात में भी खसरा संख्या 1944 में शिवाला ही दर्ज है। इस शिवाला को साल 2013 में वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज कराने के लिए लिखा गया और 2016 में इसे वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज भी कर लिया गया।
सैय्यद मुस्तफा अली का कहना है कि क्योंकि शिवालय उनकी सम्पत्ति नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उनके वक्फ के रूप में इसे दर्ज किया गया है। इसलिए वह इसकी जांच कराकर सच्चाई सामने लाना चाहते हैं।
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