रक्षा क्षेत्र में एआई

रक्षा क्षेत्र में एआई

सूचना के युग से हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर गए हैं जिसमें डेटा, सूचना तथा कंप्यूटर-संचालित भौतिक ढांचे यानि साइबर-फिजिकल सिस्टम का जोर है। सामाजिक रुपांतरण की इस प्रक्रिया का एक निर्णायक तत्व है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)। बोलचाल की भाषा में हम कृत्रिम बुद्धिमता या फिर मशीन-केंद्रित बुद्धि जैसा नाम दे सकते हैं। …

सूचना के युग से हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर गए हैं जिसमें डेटा, सूचना तथा कंप्यूटर-संचालित भौतिक ढांचे यानि साइबर-फिजिकल सिस्टम का जोर है। सामाजिक रुपांतरण की इस प्रक्रिया का एक निर्णायक तत्व है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)। बोलचाल की भाषा में हम कृत्रिम बुद्धिमता या फिर मशीन-केंद्रित बुद्धि जैसा नाम दे सकते हैं। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है। कृत्रिम बुद्धिमता मानवता के विकास में एक बड़ा तथा क्रांतिकारी कदम है। आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए कोई जगह नहीं है।

चिकित्सा, कृषि तथा अन्य क्षेत्रों में एआई का जिस तरह से बोलबाला है अब रक्षा क्षेत्र में भी इसके बलबूते बड़े बदलाव हो रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि हमें मानवता की तरक्की और शांति के लिए एआई का इस्तेमाल करना होगा। देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता बेहद जरूरी है। कृत्रिम बुद्धिमता मानवता के विकास में एक बड़ा तथा क्रांतिकारी कदम है।

ध्यान रहे दुनिया की किसी भी सेना में एआई का प्रयोग मुख्यत: पांच कामों में किया जा सकता है-रसद और आपूर्ति प्रबंधन, डाटा विश्लेषण, खुफिया जानकारी जुटाना, साइबर अभियान और हथियारों की स्वायत्त प्रणाली। रसद आपूर्ति और डाटा विश्लेषण को लेकर असैन्य क्षेत्रों में पहले से ही काम किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर हमलों को रोकने या फिर उन्हें शुरू करने के लिए एआई का प्रयोग जरूरी होता जा रहा है।

एआई के जरिए साइबर हमलों को आसानी से पकड़ा जा सकता है। कई देश रक्षा क्षेत्र में एआई का प्रयोग कर अपने सैन्य कौशल में सुधार की गुंजाइश भी तलाश रहे हैं। एआई का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे सैन्यकर्मियों के जोखिम को कम किया जा सकेगा। एआई से जुड़ी परियोजनाओं के साकार होने पर भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो जाएगा। मानव रहित टैंक, पोत, हवाई यान और रोबोटिक हथियारों के इस्तेमाल से सेना को अपने अभियान बेहतर तरीके से अंजाम देने में मदद मिलेगी।

रक्षा-क्षेत्र और सैन्य ज़रूरतों की पूर्ति में एआई का इस्तेमाल बढ़ तो रहा है लेकिन इसकी सीमाओं और संभावनाओं का समझना बहुत ज़रुरी है ताकि दुर्घटनाओं की आशंका ना रहे। रक्षा मंत्री ने कहा भी है कि इसका इस्तेमाल करते समय इसके दुरूपयोग के प्रति भी अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है। यह नहीं माना जा सकता कि एआई की तकनीकी परिपक्वता और क्षमता उस सीमा तक पहुंच गई है कि अब बिना खास जोखिम उठाए हम पूरी तरह से मशीनों पर निर्भर हो जाएं।

ये भी पढ़ें- गाथा मधुमेह की