लखीमपुर-खीरी: न डॉक्टर, न दवाएं और बेड ऐसे में कैसे चलाएं जिला अस्पताल की इमरजेंसी
लखीमपुर-खीरी, अमृतविचार। जिला अस्पताल को शिफ्ट करने के बाद चिकित्सीय सेवाएं दिन पर दिन बिगड़ती जा रही हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां हल्की-फुल्की चोट लगने वाले मरीजों को भी पहले मोतीपुर रेफर ना करके सीधे लखनऊ मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। मौजूदा समय में इमरजेंसी के डॉक्टरों के पास न तो …
लखीमपुर-खीरी, अमृतविचार। जिला अस्पताल को शिफ्ट करने के बाद चिकित्सीय सेवाएं दिन पर दिन बिगड़ती जा रही हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां हल्की-फुल्की चोट लगने वाले मरीजों को भी पहले मोतीपुर रेफर ना करके सीधे लखनऊ मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है।
मौजूदा समय में इमरजेंसी के डॉक्टरों के पास न तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं हैं, मलहम पट्टी भी नहीं है। इसके अलावा बेड़ों का तो शुरू से ही अभाव चल रहा है। आपातकाल के लिए डलवाए गए बेड़ों को भी गुरुवार को एक बार दोबारा हटा दिया गया जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उददेश्य से पूरे जिला अस्पताल को ओयल के मोतीपुर स्थित मातृ एवं शिशु विभाग में शिफ्ट किया गया। शिफ्ट करने में जल्दबाजी और आधी अधूरी तैयारियों के बीज शुरू हुई स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी होती जा रही है। लोग इलाज कराने के लिए इधर उधर भटकते हुए देखे जा रहे हैं। डाक्टरों का हाल यह है कि मौजूदा समय में न तो उनके पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं ही उपलब्ध रहती है और न ही मलहम पटटी। वैसे जब से अस्पताल को शिफ्ट किया गया है तब से ही बेडों का अभाव देखा जा रहा।
इमरजेंसी के दस के दसों बेड हमेशा ही फुल रहते हैं। बेड फुल, इमरजेंसी फुल फिर भी डाक्टरों का टोटा है। बताते है कि इमरजेंसी में भर्ती मरीजोें के इलाज के लिए एक ईएमओ के साथ साथ एक फार्मासिस्ट ही हैं। बाकी सारा का सारा स्टाफ ओयल की एमसीएच विंग में ही ड्यूटी कर रहे हैं। जिला मुख्यालय में आने वाले मरीजों को अब मोतीपुर रेफर न करते हुए सीधे लखनऊ मेडिकल कालेज भेज रहे है।
गुरूवार को जिला अस्पताल का जो हाल देखने को मिला वह काफी भयावह था। यहां आने वाले लगभग सभी मरीजों को हल्की फुल्की मरहम पटटी करके सीधे उन्हें मेडिकल कालेज लखऩउ रेफर कर दिया गया। मरीजों के पूछने पर की आखिरकार मोतीपुर क्यों रेफर नहीं किया जा रहा तो इमरजेंसी में तैनात डाक्टरों ने बताया कि एमसीएच विंग में कोई भी भर्ती प्रक्रिया नहीं चल रही है जिसके चलते केवल मरीजों की ओपीडी ही की जा रही है।
डाक्टरों ने बताया कि हम लोगों की भी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां पर बेडों की कमी के साथ साथ जरूरी दवाओं का भी अकाल है। इंडेंट के हिसाब से दवाएं नहीं मिल पा रही है। फिलहाल यदि ऐसा ही एक दो और चला तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है।
भर्ती मरीजों को देखने तक नहीं आते डाक्टर
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बेड खाली होने की दशा में भर्ती तो कर लिया जाता है लेकिन देखने के लिए डाक्टरों की कमी है। क्योंकि सारे फिजीशियन, सर्जन के साथ साथ अन्य सारा स्टाफ ओयल की एमसीएच विंग में ही ड्यूटी कर रहा है। यहां पर यदि किसी भी मरीज की हालत अचानक खराब हो जाए तो उसे देखने वाला कोई नहीं। फिलहाल काल करने पर डाक्टर तो आते हैं लेकिन आने में उन्हें काफी टाइम लग जाता है।
बेहतर सुविधाओं के लिए इमरजेंसी को भी करना होगा शिफ्ट
सेवाओं को बेहतर और मरीजों को समय से इलाज देने के लिए मोतीपुर में ही यदि इमरजेंसी को शिफ्ट कर दिया जाएगा तो तमाम समस्याओं का तत्काल समाधान हो जाएगा। एक ही जगह पर इमरजेंसी, ओपीडी की जाएगी तो गंभीर मरीजों को भर्ती कर उनका उपचार किया जाएगा। इस दौरान उन्हें लखनऊ के मेडिकल कालेज तक का सफर तय नहीं करना पडेंगा। फिलहाल लोगों की भी यही मांग है कि अब इन समस्याओं पर विराम लगना होगा।
राजनैतिक पार्टियों के हस्तक्षेप से रूकी गयी थी इमरजेंसी
जिस वक्त जिला अस्पताल को शिफ्ट करने की कवायद शुरू हुई थी उस समय पूरे अस्पताल को एक ही छत के नीचे भेजने की मंशा थी लेकिन लोगों ने इस मामले का राजनैतिक तूल देते हुए ज्ञापन देने शुरू कर दिये थे जिसके बाद डीएम के आदेश के बाद इमरजेंसी को छोडकर पूरे अस्पताल को शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया। मौजूदा समय में हो रही दिक्कतों न तो कोई भी राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता ही बोल रहे और न ही अधिकारी।
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