आम बीमारियों की दवा भी आयुष अस्पताल में नहीं मौजूद

आम बीमारियों की दवा भी आयुष अस्पताल में नहीं मौजूद

हल्द्वानी, अमृत विचार: सर्दी, खांसी, जुकाम, पेचिश जैसे रोगों की दवा भी आयुष अस्पताल में मौजूद नहीं हैं। मरीजों को भारी दामों पर दवाओं को बाहर से खरीदना पड़ रहा है। डॉक्टर बाहर से दवा को मजबूर हैं क्योंकि अस्पताल में दवा नहीं होने से मरीजों के पास बाहर से दवा खरीदने के अलावा और कोई चारा नहीं है।


मिनी स्टेडियम के सामने बड़े जोर-शोर से आयुष अस्पताल बनाया गया। पहले तो कई सालों तक इसका उद्घाटन नहीं हो पाया और अब जब अस्पताल चलने लगा है तो मरीजों को दवाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। इन दिनों सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों का जोर है। अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है लेकिन मरीजों को उपचार के नाम गोडूच्यादि क्वाथ, कफ केतु रस और कनकासव ही मिल रही है। इसके अलावा लक्ष्मी विलास रस और त्रिभुवनकीर्ति रस जैसी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रहीं हैं।

यही हाल पेट रोग की दवाओं का भी है। बेल चूर्ण, चित्रकादी वटी का उपयोग पेट के रोगों में किया जाता है लेकिन इन दवाओं को बाहर से खरीदना पड़ रहा है। अस्पताल में पेट रोग के नाम पर द्राक्षासव, कुटजारिष्ट ही मौजूद हैं। अब मरीज की जेब की बात करें तो एक मरीज को बाहर से करीब 300 से 500 रुपये की दवा खरीदनी पड़ती है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में जो भी दवाएं मौजूद हैं उन सभी को मरीजों दिया जाता है लेकिन जो दवाएं नहीं हैं वह बाहर से लिखनी पड़ती है। दिक्कत यह है कि अस्पताल में मिलने वाली दवाओं की संख्या कम है और बाहर से मिलने वाली दवाओं की संख्या कहीं ज्यादा है।

बीपी और शुगर की दवाओं का भी यही हाल
हल्द्वानी। आम बीमारियों के साथ ही लंबे समय तक खाई जाने वाली बीपी और शुगर की दवाओं की भी कमी है। बीपी के उपचार में अर्जुन, सर्पगंधा, अश्वगंधा आदि का इस्तेमाल होता है। इन दवाओं को बाहर से ही लेना पड़ता है। शुगर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में डुची, शिलाजीत, करेला, मेषश्रृंगी, पित्तसार आदि जड़ी-बूटी होती हैं। यह दवा भी महंगी मिलती हैं। इनका भी अस्पताल में टोटा रहता है। साथ ही आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म से जुड़ी कई दवाएं आती हैं। यह दवाएं भी खरीद पाना आम मरीज के बस की बात नहीं है। यह भी बाहर से ही लेनी पड़ती हैं। चिकित्सा प्रभारी डॉ. प्रदीप मेहरा ने बताया कि अस्पताल में जो दवाएं नहीं हैं उनकी डिमांड भेजी जाती है और जो दवाएं होती हैं उनसे मरीजों का उपचार किया जा रहा है। 

50 बेड का आईपीडी अभी तक नहीं हुआ शुरू
हल्द्वानी। आयुष अस्पताल की शुरूआत में कहा गया था कि यहां पर 50 बेड की आईपीडी होगी। अस्पताल को खोले हुए करीब ढाई साल हो गया है लेकिन अभी तक 50 बेड की आईपीडी शुरू नहीं हुई है। इधर आईपीडी में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।