बरेली: भ्रष्टाचार पर सवाल, 15 साल से एक ही विभाग में जमे 25 बाबू

बरेली: भ्रष्टाचार पर सवाल, 15 साल से एक ही विभाग में जमे 25 बाबू

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम में इस समय 68 बाबू हैं। इनमें से 25 बाबू ऐसे हैं जो 15 साल से विभागों में जमे हैं, उनके एक विभाग से दूसरे विभाग में तबादले नहीं हुए हैं। नगर निगम के लेखा विभाग में चार कर्मचारी 23 साल से तो टैक्स विभाग में तीन कर्मचारी 15 साल से …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम में इस समय 68 बाबू हैं। इनमें से 25 बाबू ऐसे हैं जो 15 साल से विभागों में जमे हैं, उनके एक विभाग से दूसरे विभाग में तबादले नहीं हुए हैं। नगर निगम के लेखा विभाग में चार कर्मचारी 23 साल से तो टैक्स विभाग में तीन कर्मचारी 15 साल से हटे ही नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि नगर निगम से भ्रष्टाचार कैसे दूर हो पाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की मंशा कैसे पूरी हो पाएगी।

नगर निगम बने हुए 28 साल हो चुके हैं और विभाग में जमे बाबुओं की पहुंच इतनी है कि विभागों के महत्वपूर्ण पटलों से इन्हें हटाने का कोई प्रयास ही नहीं किया गया। विभागों के महत्वपूर्ण पटलों पर जमे इन बाबुओं के होने से जनता को तो कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है लेकिन इतना जरूर है कि नगर निगम का भ्रष्टाचार सामने नहीं आ पा रहा है। पिछले सप्ताह नगर निगम में फर्जी एफडी का मामला एक अधिकारी ने ही पकड़ा था। इसमें बाबू की मिलीभगत मानी जा रही है।

हालत यह है कि टैक्स विभाग में 15 साल, जलकल में नौ साल, स्वास्थ्य विभाग में 10 साल से काबिज बाबुओं के आगे तबादला नीति भी बेदम हो गई है। मेयर कार्यालय में 2005 से काबिज बाबू को भी किसी और पटल पर भेजा ही नहीं गया है। लेखा विभाग में सबसे ज्यादा आठ बाबू ऐसे हैं जो 10 साल से ज्यादा समय से हटे नहीं है। मुख्यमंत्री की मंशा का पालन करने में अधिकारी कितनी दिलचस्पी लेते हैं यह 30 जून तक शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में पता चल जाएगा।

कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन साल से ज्यादा एक पटल पर काबिज क्लर्क को दूसरे विभाग में भेजा जाए। इससे संवेदनशील पटलों पर कर्मचारी का नेटवर्क न बढ़ने और भ्रष्टाचार की संभावना कम हो जाती है। लेकिन बरेली नगर निगम में मुख्यमंत्री की मंशा बाबुओं की शक्ति के आगे बेदम हो जाती है। यही वजह है कि लेखा विभाग के चार बाबू 23 साल से उसी विभाग में तैनात हैं।

भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का पालन होना मुश्किल
नगर निगम में चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की नीति का पालन इस बार भी नहीं हो पाएगा। सूत्रों ने बताया कि लेखा, स्वास्थ्य, टैक्स, जलकल इन विभागों में बंद व्यवस्था चल रही है। माना जाता है कि यदि यहां दूसरा बाबू आ गया तो सभी की पोल खुल जाएगी। एक दूसरे की पोल कोई खोलना नहीं चाहता है। इसलिए यहां वर्षों से तैनात कर्मचारियों के विभाग नहीं बदले जाते।

मुख्यमंत्री की मंशा को पूरा करने के लिए नगर निगम वर्षों से एक जगह काबिज क्लर्कों की कुंडली तैयार की जा रही है। तीन साल से ज्यादा समय से काबिज क्लर्कों को दूसरे विभागों में भेजा जाएगा। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए 30 जून को शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। इसके पहले कर्मचारियों का तबादला किया जाएगा।- अभिषेक आनंद, नगर आयुक्त

लेखा विभाग

नाम बाबू                         कब से             अवधि

हेमंत कुमार                  1999             23 वर्ष

हुसैन अली किदवई          1999             23 वर्ष

नवीन चंद्र सक्सेना          1999             23 वर्ष

देव कुमार                       1999             23 वर्ष

सुरेन्द्र मोहन सक्सेना       2006             16 वर्ष

प्रभु दयाल                        2008             14 वर्ष

श्रीमती सपना रानी          2006             14 वर्ष

श्रीमती रजिया अहमद       2013             9 वर्ष

टैक्स विभाग

रागिव हुसैन             2007            15 वर्ष

राजेन्द्र कुमार             2007            15 वर्ष

अमर मसीह             2007             15 वर्ष

रघुनाथ                      2010            12 वर्ष

अशोक कुमार          2012            10 वर्ष

जलकल विभाग

गुलजार बी            2013            9 साल

हरपाल सिंह        2014            8 साल

मोहन लाल शर्मा    2015            7 साल

ताहिर जमाल       2018             4 साल

स्वास्थ्य विभाग

झंडू राम             2012            10 वर्ष

अजहर इस्लाम   2013             9 वर्ष

श्रीमती हुस्ना        2013             9 वर्ष

सुमित कुमार      2014            8 साल

मनीष कुमार        2014         7 साल 7 माह

अनुज शंकर खरे  2017            5 वर्ष

निर्माण विभाग

ध्रुव कुमार चौबे        2015            6 साल

मेयर कार्यालय

सुनील आर्या          2005               15 वर्ष

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