बरेली: महाशिवरात्रि पर बोल बम के जयकारों से गूंजेंगे नाथ मंदिर

बरेली: महाशिवरात्रि पर बोल बम के जयकारों से गूंजेंगे नाथ मंदिर

बरेली,अमृत विचार। महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाने के लिए शहर के सभी मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। मंदिरों में साफ सफाई के साथ ही विभिन्न प्रकार की लाइटों की सजावट शुरू हो गई है। नाथ नगरी जलाभिषेक समिति की ओर से शहर में स्थित सभी नाथ मंदिरों में व्यवस्थाएं कराई जा …

बरेली,अमृत विचार। महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाने के लिए शहर के सभी मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। मंदिरों में साफ सफाई के साथ ही विभिन्न प्रकार की लाइटों की सजावट शुरू हो गई है। नाथ नगरी जलाभिषेक समिति की ओर से शहर में स्थित सभी नाथ मंदिरों में व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं।

शहर के चारों और अलग – अलग दिशाओं में स्थित सात नाथ मंदिरों का इतिहास पुरातन काल से जुड़ा है। यह मंदिर चारों दिशाओं में महत्व के अनुरूप कई कोण पर स्थित हैं। महाशिवरात्रि के दिन इन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है।

उत्तर कुबेर दिशा में स्थित है श्री त्रिवटी नाथ मंदिर
प्रेमनगर स्थित श्री त्रिवटी नाथ मंदिर में प्रगट हुए शिवलिंग के बारे में मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी संजीव अवतार का मानना है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही कष्टों का नाश हो जाता है। यहां विराजमान नव दुर्गा मंदिर के दर्शन के लिए भी श्रद्धालु आते हैं।

अलखिया बाबा के तप से स्थापित हुआ अलखनाथ मंदिर
किला क्षेत्र स्थित अलखनाथ मंदिर शहर के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायव्य कोण में विराजमान है। मंदिर के पुजारी कालू गिरी बताते हैं कि मंदिर में विराजमान भोलेनाथ की महिमा से क्षेत्र की आंधी-तूफान और दैवीय आपदाओं से रक्षा होती है। यहां प्राचीन समय में शिवभक्त अलखिया बाबा ने तप कर महादेव को प्रसन्न किया था।
द्वापर युग में धुम्रेश्वर से श्रीधोपेश्वर नाथ मंदिर
पूर्व दक्षिण मध्य में अग्निकोण में स्थापित श्रीधोपेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी घनश्याम जोशी ने बताया कि अत्रि ऋ षि के शिष्य रहे धूम्र ऋ षि के नाम पर द्वापर युग में धुम्रेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता था, जो अब श्रीधोपेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में शिवलिंग के साथ रामजानकी दरबार भी मनमोहक है, जो लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र है।
मढ़ीनाथ मंदिर आस्था का केंद्र
सुभाष नगर स्थित मढ़ीनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र है। पुजारी धर्मेंद्र गिरी का कहना है कि पश्चिम दिशा में स्थापित इस मंदिर की महिमा से क्षेत्र में जल की कमी कभी नहीं होती। माना जाता है कि आदि काल में एक मणीधारी सर्प रहता था, जो मंदिर की रक्षा करता था। उसी के नाम पर मंदिर का नाम आगे चल कर मढ़ीनाथ पड़ गया।
 तपस्थली बनी तपेश्वर नाथ
शहर के दक्षिण दिशा में भूतनाथ के रूप में विराजमान श्री तपेश्वर नाथ मंदिर द्वापर युग का माना जाता है। पुजारी विशन शर्मा बताते हैं कि प्राचीन काल में यहां जंगल हुआ करता था। यहां मुनीश्वर दास ने घोर तपस्या कर भोले नाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि शिवलिंग दर्शन से लोगों को रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

वनखंडी नाथ मंदिर
जोगीनावादा क्षेत्र स्थित वनखंडी नाथ मंदिर के महंत सच्चिदानंद सरस्वती ने बताया कि प्राचीन काल से स्थापित मंदिर में इंद्रदेव बराह के साथ क्षेत्र की रक्षा करते हैं। पुरातन काल में यहां जंगल था। मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 नगर के बीच में स्थापित है पशुपति नाथ मंदिर
पीलीभीत बाईपास स्थित पशुपति नाथ मंदिर के पुजारी पं. मुकेश मिश्र बताते हैं कि मंदिर नगर के बीच में स्थित है। देखा जाए तो सभी नाथ मंदिरों के केंद्र में स्थापित है। यहां पूजा अर्चना करने पर भक्तों को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

 मंदिरों के आसपास व बाजार में सजीं पूजा सामग्री की दुकानें
महाशिवरात्रि को लेकर शहर के बाजारों में पूजा सामग्री की दुकानें सज चुकी हैं। दुकानदारों का कहना है कि महाशिवरात्रि को लेकर विशेष पूजा पैक तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें पूजा का सामान एक ही पैक में मिल जाएगा। इसके अलावा जयपुर से मंगवाई गई चीनी मिट्टी की भोलेनाथ की प्रतिमा की मांग अधिक है। जिसकी कीमत 50 से लेकर 300 रुपये तक है। दुकानों पर तांबे का लोटा, पूजा थाल, चौकी, वस्त्र, हवन सामग्री, अनेक प्रकार के मिट्टी के दीये आदि की बिक्री हो रही है।

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