गरमपानी: चुनावी शोर में दब गई आपदा प्रभावितों की आवाज

गरमपानी, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के शोरगुल में आपदा प्रभावितों की आवाज दब सी गई है। बीते साल अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद गांवों के लोगों के खेत रोखड़ में तब्दील हो गए। उपज बर्बाद हो गई। कई घरों को भारी नुकसान हुआ लेकिन मुआवजे के नाम पर अब तक कुछ भी न मिल …
गरमपानी, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के शोरगुल में आपदा प्रभावितों की आवाज दब सी गई है। बीते साल अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद गांवों के लोगों के खेत रोखड़ में तब्दील हो गए। उपज बर्बाद हो गई। कई घरों को भारी नुकसान हुआ लेकिन मुआवजे के नाम पर अब तक कुछ भी न मिल सका है। आज भी आपदा प्रभावित मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।
बीते पिछले वर्ष अक्टूबर के महीने हुई मूसलाधार बारिश के साथ आई आपदा ने लोगों को गहरे जख्म दिए। गरमपानी खैरना बाजार में आधा दर्जन से ज्यादा मकान जमींदोज हो गए। लोगों को भारी नुकसान पहुंचा। गांव में कई लोगों के घरों में गहरी दरार आ गई। घर ढहने की हालत में पहुंच गए हैं। कृषि भूमि भूस्खलन होने से रोखड़ में तब्दील हो चुकी है।
आढू, पूलम, खुमानी के बगीचे भी जमींदोज हो चुके हैं। अब तक मुआवजे के नाम पर ग्रामीणों को कुछ भी नहीं मिल सका है। बड़े-बड़े दावे वह वादे करने वाले नीति निर्माता भी कुछ न कर सके। लोग आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। बेतालघाट ब्लाक के धारी, उल्गौर, लोहाली, सीम, सिल्टोना, बारगल, सिमलखा, बसगांव, रतौडा, नैनीचैक समेत तमाम गांवों के आपदा प्रभावितों को मुआवजे के तौर पर ढेला तक नही मिला है।
उपेक्षा पर लोगों में गहरा रोष भी है लेकिन चुनावी शोरगुल इतना है कि उनकी आवाज दब सी गई है। मुआवजा न मिलने से लोगों में भारी गुस्सा भी है। पूरन लाल साह, गजेन्द्र नेगी, वीरेंद्र बिष्ट, भरत बोहरा, भीम सिह बिष्ट, कुबेर सिंह जीना, मदन सुयाल, दलीप सिंह नेगी, पंकज भट्ट, हरीश कुमार, अंकित सुयाल, सुनील मेहरा, मनीष कर्नाटक, हरीश चंद्र आदि ने आपदा प्रभावितों को नुकसान का मुआवजा जल्द देने की मांग उठाई है।