रामपुर में जाति-धर्म के नाम पर लड़ी जा रही चुनावी जंग

अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछ गई है। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में 44 प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। हर तरफ जाति-धर्म की गुणा-भाग की जा रही है। किसी की जुबान पर विकास का मुद्दा है न मुंह खोले खड़ी जनसमस्याओं के समाधान का जिक्र है। न किसी के पास कोई …
अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछ गई है। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में 44 प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। हर तरफ जाति-धर्म की गुणा-भाग की जा रही है। किसी की जुबान पर विकास का मुद्दा है न मुंह खोले खड़ी जनसमस्याओं के समाधान का जिक्र है। न किसी के पास कोई अपना घोषणा पत्र है।
जिले की रामपुर शहर विधानसभा सीट का जिक्र करें तो यह सूबे की सबसे अधिक मुस्लिम बाहुल्य सीट है। इसीलिए यह समाजवादी का गढ़ कही जाती है, आजम खां की लगातार नौ बार जीत का यही फैक्टर भी है। बीच में एक बार कांग्रेस से अफरोज खां विधायक बने थे। इसके बाद तो लगातार आजम खां विधायक बनते चले आ रहे हैं। इस बार उनके मुकाबले नवाब परिवार के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां कांग्रेस से मैदान में उतरे हैं। क्योंकि पहली बार आजम खां को कड़ी टक्कर मिल रही है। शहर सीट से आकाश सक्सेना के अलावा और कोई हिंदू प्रत्याशी मैदान में नहीं है। उनके आने से लड़ाई रोचक हो गई है।

बसपा के सदाकत हुसैन और आम आदमी पार्टी के फैसल खां लाला समेत छहों प्रत्याशी मु्स्लिम हैं। शहर सीट के सभी प्रत्याशी इस जाति-धर्म की गुणा भाग में उलझे उनके समर्थक आगे पीछे की गुणा-भाग कर रहे हैं किसी के पास विधानसभा क्षेत्र के विकास का कोई मुद्दा नहीं है। सैंजनी नदी का पुल अधर में लटका है। बिलासपुर नगर में नहर का सौंदर्यीकरण हो या फिर अंडरपास के मुद्दे किसी प्रत्याशी की जुबान पर नहीं हैं। मिलक-शाहबाद बाढ़ग्रस्त इलाका है। रामगंगा नदी के अलावा भाखड़ा, पीलाखार और कोसी नदी हर साल किसानों की फसलों को तबाह करती है। पटवाई आज तक नगर पंचायत नहीं बनी। शाहबाद नगर का भी विकास नहीं हुआ। सैफनी विकास से उपेक्षित है। मिलक में ओवरब्रिज की समस्या वर्षो से है। अंडरपास के मुद्दे पर आंदोलन तक हुए हैं। दुर्भाग्य है कि किसी प्रत्याशी ने मुद्दों को जीत का आधार नहीं बनाया।
प्रदेश का है सबसे बड़ा मुस्लिम बाहुल्य जिला
रामपुर के जिले में जातीय समीकरण की बात करें तो 50% से ज्यादा आबादी मुस्लिम बाहुल्य है। लगभग 45% हिंदू और 3 से 4% आबादी सिख ईसाई बौद्ध जैन और अन्य आबादी की है। रामपुर शहर विधान सभा सीट ऐसी है जहां करीब 72 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटों वाली नौ सीटों में से यह एक है, जहां मुस्लिम मतदाओं को तादाद अधिक है।
मुस्लिम वोटों को लेकर अहम सवाल
जिले की 50.57 फीसदी आबादी वाला मुस्लिम वोट बैंक किसके पाले में जाएगा या फिर वोटों में बिखराव होगा और उसका लाभ भाजपा ले जाएगी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम मतों का विभाजन तो हुआ था। लेकिन, इसका कोई खास असर नजर नहीं आया था। जिले में सपा के कद्दावर नेता आजम खां के प्रभाव में मुस्लिम वोट का झुकाव सपा की ओर ज्यादा रहा था। इस बार आजम खां जेल में हैं। कुछ चुनावी जानकार कहते हैं कि आजम खां को सहानुभूति मिल सकती है तो कुछ कह रहे हैं कि उनके चुनाव में नहीं होने से वोट पर फर्क पड़ेगा।
समस्याएं जो मुद्दा नहीं बनीं
- बंद चीनी मिल का नहीं चलाया जाना
- लालपुर डैम का अधर में लटका होना
- ट्रॉमा सेंटर का नहीं बनाया जाना
- ज्वालानगर में अंडरपास न होना
- औद्योगिक विकास नहीं होना
- अंडरग्राउंड बिजली और सीवर के फाल्ट
- कोसी और रामगंगा नदियों पर अधूरे बांध
- मिलक में पटवाई क्रासिंग पर ओवरब्रिज नहीं
- स्वार, टांडा, मिलक, शाहबाद में बस अड्डे नहीं
- नई जेल का अधर में लटका होना
- टांडा क्षेत्र का मुख्यालय से कटा होना
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