बरेली: हाईवे बनाने वाली तकनीक से बनेंगी टीपीनगर की सड़कें

बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) रामगंगानगर आवासीय कॉलोनी को गति देने के बाद अब सबसे बड़े कॉमर्शियल प्रोजेक्ट ट्रांसपोर्टनगर के विकास का खाका तैयार कर लिया है। करीब 20 साल से लटकी ट्रांसपोर्टनगर परियोजना में काफी पहले जो सड़कें बनाई भी गईं थीं, वे टूट गई हैं। यहां भारी वाहनों का ही आवागमन …
बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) रामगंगानगर आवासीय कॉलोनी को गति देने के बाद अब सबसे बड़े कॉमर्शियल प्रोजेक्ट ट्रांसपोर्टनगर के विकास का खाका तैयार कर लिया है। करीब 20 साल से लटकी ट्रांसपोर्टनगर परियोजना में काफी पहले जो सड़कें बनाई भी गईं थीं, वे टूट गई हैं। यहां भारी वाहनों का ही आवागमन होना है। इसलिए बीडीए यहां पीसीक्यू (पेवमेंट क्वालिटी कंक्रीट) तकनीकी से दो सड़कों के निर्माण कराने जा रहा है। इस पर करीब 16 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।
बीडीए की बरेली-लखनऊ हाइवे स्थित ट्रांसपोर्ट नगर योजना की कल्पना शहर के ट्रांसपोर्ट्स और बड़े वाहनों को बाहर रखने के लिए की गई थी। ताकि सड़कों पर वाहन न खड़े हो और जाम और अतिक्रमण से छुटकारा मिल सके। करीब दो दशक पहले की यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अब बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने प्राधिकरण की आवासीय परियोजनाएं रामगंगानगर और करगैना में करोड़ों के विकास कार्य कराए हैं और इसके बाद अथॉरिटी की व्यावसायिक परियोजना ट्रांसपोर्टनगर को भी चमकाने की कवायद शुरू कर दी गई है। यहां सबसे बड़ी दिक्कत सड़कों को लेकर है।
हॉटमिक्स व डामर रोड के निर्माण कई टन वजनी ट्रकों के बोझ उठा नहीं पाते और वे जल्द ही टूट जाती हैं। लिहाजा बीडीए इससे छुटकारा दिलाने के लिए पीसीक्यू तकनीकी से पहले चरण में करीब 16 करोड़ की लागत से दो सड़कों के निर्माण कराने जा रहा है। तकनीक से बनने वाली सड़कें 20 से 25 साल तक आसानी से चल सकती हैं। दूसरे चरण में अन्य सड़कों के निर्माण भी प्रस्तावित हैं। बीडीए इस तकनीकी से पहली बार सड़क निर्माण कराने जा रहा है।
क्या है पीक्यूसी तकनीकी
पीक्यूसी वह तकनीक है, जिसका उपयोग ज्यादातर राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए किया जाता है। इसमें सामान्य कंक्रीट से अलग 32 मिमी आकार के खास पत्थरों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के कंक्रीट सामान्य कंक्रीट की तुलना में थोड़ी अधिक सीमेंट सामग्री की आवश्यकता होती है। इससे ज्यादातर कंक्रीट के एम45 और एम50 के लिए डिजाइन किया गया है।
प्रोजेक्ट के ठप होने की ये है वजह
बीडीए ने टीपी नगर में 1074 ट्रांसपोर्टर्स भूखंड, 12 दुकानें और 15 व्यवसायिक भूखंड बनाए। ट्रांसपोर्टर्स की जगह भूखंड जमीन का कारोबार करने वाले प्रापर्टी डीलरों को आवंटित कर दिए गए। प्रापर्टी डीलरों ने यहां ऑफिस या दुकान बनानी नहीं थी इसलिए सस्ती दरों में खरीदे गए भूखंडों को महंगे रेट पर बेचने के इरादे से ग्राहक देखते रहे। टीपी नगर के 24.89 हेक्टेयर एरिया में बैंक, फायर स्टेशन, बिजनेस सर्विस सेंटर, डिस्पेंसरी, पुलिस स्टेशन, कम्यूनिटी हाल और आरटीओ दफ्तर समेत सरकारी और प्राइवेट दफ्तर शिफ्ट करने की योजना थी। सरकारी दफ्तरों को ही शिफ्ट करने की पहल नहीं की गई।
25 हेक्टेयर जमीन पर खर्च हुए थे 50 करोड़
25 हेक्टेयर जमीन पर 40 से 50 करोड़ खर्च होने के बावजूद बीडीए की यह बड़ी परियोजना लंबे समय तक ठप रही। वर्ष 2014 में तत्कालीन कमिश्नर विपिन द्विवेदी और 2016 में तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज यादव ने ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के लिए बीडीए पर दबाव बनाया लेकिन बाद में अफसरों के रुचि न लेने से बीडीए की तमाम दूसरी परियोजनाओं की तरह यह प्रोजेक्ट भी ठप पड़ा रहा।
वर्जन-
बीडीए ट्रांसपोर्टनगर में पीसीक्यू तकनीकी से दो सड़कें बनाने जा रहा है। ये सड़कें बहुत मजबूत होती हैं। इससे ट्रांसपोर्टरनगर में आने वाले कई टन वजनी ट्रकों के आने के बावजूद सड़कें टूटेंगी नहीं। -जोगिंदर सिंह, बीडीए उपाध्यक्ष