बरेली: मेगा फूड पार्क तैयार, 2445 रुपये प्रति वर्ग मीटर से भूखंड खरीदें

बरेली, अमृत विचार। सात साल के बाद मेगा फूड पार्क में खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां लगाने का रास्ता साफ हो गया। विद्युत व्यवस्था, सड़कें समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने पार्क में इकाइयां लगाने के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया है। 30 नवंबर …
बरेली, अमृत विचार। सात साल के बाद मेगा फूड पार्क में खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां लगाने का रास्ता साफ हो गया। विद्युत व्यवस्था, सड़कें समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने पार्क में इकाइयां लगाने के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया है। 30 नवंबर से भूखंड आवंटन कराने की प्रक्रिया शुरू हो गयी। निवेश मित्र के जरिए उद्यमी भूखंड आवंटन कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।
भूखंड खरीद के लिए 2445 रुपये प्रति वर्ग मीटर का रेट खोला है। 600 वर्ग मीटर, 800 वर्ग मीटर, 1000 वर्ग मीटर, 2400 वर्ग मीटर और 3400 वर्ग मीटर से भी बड़े भूखंड पार्क में उपलब्ध हैं। इकाइयां लगने के साथ बरेली मंडल के अलावा उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जनपद के लोगों के लिए रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। सीईओ ने अपने विभागीय यूपीसीडा के अधिकृत टि्वटर पर भी मेगा फूड पार्क में भूखंड के लिए आमंत्रण की सूचना ग्राफिक्स के साथ शेयर की है।
उत्तराखंड के निवेशकों के लिए उपयुक्त लोकेशन
बहेड़ी के मुड़िया मुकर्रमपुर गांव के पास स्थित मेगा फूड पार्क उत्तराखंड के निवेशकों के लिए भी उपयुक्त बताया जा रहा है। यह पार्क बरेली एयरपोर्ट से 55 किलोमीटर, बहेड़ी तहसील से 8 किमी, नैनीताल रोड (एसएच-37) से पहुंच, किच्छा रेलवे स्टेशन से 10 किमी पर है। बहेड़ी का काफी क्षेत्र ऊधमसिंहनगर की सीमा से लगा हुआ है।
सपा सरकार में मुड़िया मुकर्रमपुर गांव के पास रखी गई थी नींव
बहेड़ी तहसील के मुड़िया मुकर्रमपुर गांव के पास सीलिंग की 250 एकड़ जमीन पर मेगा फूड पार्क की नींव सात साल पहले सपा शासनकाल में रखी गयी थी लेकिन सरकार बदलने के बाद कई साल तक मेगा फूड पार्क की सुध नहीं ली गयी। पार्क की कुछ भूमि पर अतिक्रमण भी हो गया था। यूपीसीडा के अधिकारियों ने प्रशासन के सहयोग से किसी तरह से अतिक्रमण हटवाया था।
यूपीसीडा के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने फूड पार्क को विकसित कराने के लिये शासन स्तर पर पहल की। इसके साथ रीजनल मैनेजर संतोष कुमार ने स्थानीय स्तर पर मॉनीटरिंग कर व्यवस्थाएं दुरुस्त करायीं। तब इसे विकसित करने की तैयारी तेज हुईं थीं।