अमेठी: महंगाई की मार से जनता परेशान, गैस सिलेंडर से टूटा मोह
अमेठी। चाहे जितना करें कमाई, बचे न एको पाई, सिलेण्डर कैसे हम भरवाई सब्सिडी अभी तलक न आई, सारा पैसा जाय रहा दवाईम मां कमर तोड़ महंगाई मां… उक्त गीत इस समय काफी चरितार्थ हो रही है और जहां गरीब का गैस से नाता टूट गया है गैस का सिलेंडर एक हजार रुपये के आसपास …
अमेठी। चाहे जितना करें कमाई, बचे न एको पाई, सिलेण्डर कैसे हम भरवाई सब्सिडी अभी तलक न आई, सारा पैसा जाय रहा दवाईम मां कमर तोड़ महंगाई मां… उक्त गीत इस समय काफी चरितार्थ हो रही है और जहां गरीब का गैस से नाता टूट गया है गैस का सिलेंडर एक हजार रुपये के आसपास पहुंचने से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अधिकतर लाभार्थियों का गैस सिलेंडर चूल्हे से निकल कर ताक पर पहुंच गया है।
इस योजना के फ्लाप होने से जहां गांवों में फिर से चूल्हे जलने लगे हैं। वहीं सरकार को भी करोड़ों रुपये का चूना लग गया है। इस योजना के प्रचार प्रसार अभियान से उस समय लोगों में काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा था लेकिन महंगाई की मार से आम जनता के हाय तौबा करने पर यह योजना पूरी तरह से फ्लाप हो गयी है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाखों लोगों को गैस कनेक्शन जारी किए गए थे जिससे अधिकतर गैस उपभोक्ता सिलेंडर महंगा होने के कारण रिफिल करवाना ही बंद कर दिया ।
गैस एजेंसियों के आकडो के अनुसार
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाखों लोगों को चूल्हा और गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाया गया था जिनमें गांवो में रह रहे अधिकतर उपभोक्ताओं के कनेक्शन बंद हो गए हैं और वहीं जगदीशपुर विकास खंड के अंतर्गत विभिन्न गांवों की पडताल की गयी तो वहां भी ऐसे ही हालात सामने आए जहाँ लगभग पच्चीस से तीस प्रतिशत उपभोक्ताओं ने मंहगाई की वजह से गैस सिलेंडर भरवाना मुनासिब ही नहीं समझा ।
महंगाई के कारण जमा नहीं हो पा रहे ॠण
केन्द्र की मोदी सरकार ने जैसे ही सबसिडी बंद कर दी वैसे ही लोगों ने रिफिल लेना बंद कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि सरकार ने जो चूल्हा व रेगुलेटर लोन पर दिया था। उसकी कीमत भी नहीं निकल सकी और वहीं सिलेंडर महंगा होने से अधिकतर लाभार्थियों ने लकड़ी से चूल्हा जलाने में ही भलाई समझी और वहीं शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी कुछ गनीमत है कि यहां के उपभोक्ताों की तरफ से कुछ रिफिलिग ली जा रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शायद ही कोई ऐसा लाभार्थी हो जो इस योजना के तहत लाभ उठा रहा हो।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत चूल्हा रेगुलेटर व पाइप के लिए लगभग एक हजार रूपये लिए जाने थे लेकिन यह पैसा उपभोक्ता से न लेकर लोन के रूप में दिया गया था जो बाद में सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से इस रकम की भरपाई होनी थी। उस समय सिलेंडर तो सात सौ रूपये और सबसिडी करीब ढाई सौ रूपये जमा हो रही थी यह अनुदान उपभोक्ता को ना मिलकर चूल्हे की कीमत में समायोजित होना था।
उपभोक्ताओं की माने तो
1-जगदीशपुर क्षेत्र की रहने वाली गृहणी ने बताया कि पहले सिलेडर सस्ता मिलता था अब तो गैस सिलेंडर भरवाना बूते से बाहर हो गया है अब इतने पैसे कहाँ से लाएं ।जब सिलेंडर लिया था तो पता नहीं था कि सिलेंडर इतना महंगा हो जाएगा।
2- कमरौली क्षेत्र के रहने वाले गैस उपभोक्ताओं ने बताया कि उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर जरुर मिला था लेकिन महंगाई की मार से त्रस्त होकर चूल्हा फूंकने पर मजबूर हूँ मेरी पाँच संताने हैं पति दिहाडी मजदूर है चार पांच हजार रूपये की आवक है जो कि राशन के लिए भी पर्याप्त नहीं है तो हजार रूपये सिलेंडर पर कैसे खर्च करें।
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