भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे प्राचीन धार्मिक पुस्तक है ऋग्वेद, जानें इतिहास

भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे प्राचीन धार्मिक पुस्तक है ऋग्वेद, जानें इतिहास

भारत की प्राचीन पुस्तक: ऋग्वेद को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे प्राचीन धार्मिक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है। वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28,000 पांडुलिपियां भारत में पुणे के ‘भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही बहुत …

भारत की प्राचीन पुस्तक: ऋग्वेद को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे प्राचीन धार्मिक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है। वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28,000 पांडुलिपियां भारत में पुणे के ‘भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ईपू की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है। ऋग्वेद के बाद यजु, फिर साम और बाद में अथर्व लिखा गया।

सबसे प्राचीन पुराण: विष्णु पुराण के अनुसार सबसे पहले ब्रह्म पुराण लिखा गया अत: ब्रह्म पुराण सबसे प्राचीन है। दूसरा पद्म, तीसरा वैष्णव, चौथा शैव, पांचवां भागवत पुराण, छठा नारद, सातवां मार्कंडेय, आठवां आग्नेय, नौवां भविष्यत, दसवां ब्रह्मवैवर्त, ग्यारहवां पुराण लैड़ग, बारहवां वाराह, तेरहवां स्कन्द, चौदहवां वामन, पन्द्रहवां कौर्म, सोलहवां मत्स्य, सत्रहवां गरूड़ और अठारहवां ब्रह्मांड पुराण हैं।

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