रामपुर तिराहा कांड: यूकेडी नेता बोले- शहीदों के सपनों को भुला रही है निर्लज्ज सरकार

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड राज्य गठन को 21 साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन आज भी राज्य आंदोलनकारियों के जेहन में दो अक्तूबर, 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर हुई बर्बरता की यादें ताजा हैं। उत्तराखंड क्रांति दल युवा प्रकोष्ठ ने मुजफ्फरनगर गोलीकांड के विरोध में शनिवार को काले दिवस के रूप में …
हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड राज्य गठन को 21 साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन आज भी राज्य आंदोलनकारियों के जेहन में दो अक्तूबर, 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर हुई बर्बरता की यादें ताजा हैं। उत्तराखंड क्रांति दल युवा प्रकोष्ठ ने मुजफ्फरनगर गोलीकांड के विरोध में शनिवार को काले दिवस के रूप में मनाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

कुसुमखेड़ा में हुई गोष्ठी में युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय सचिव उत्तम सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंडवासियों के लिए आज काला दिवस है। जो बर्बरता हमारे लोगों पर इस दिन हुई थी, निर्लज्ज सरकारें आज दिन तक उस पर पर्दा डालने का कार्य ही करती आई हैं। आज तक शहीदों को न्याय का इंतजार है।
पार्षद व हल्द्वानी महानगर अध्यक्ष रवि वाल्मीकि ने कहा कि 21 सालों से इन राष्ट्रीय दलों ने ना तो शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनने दिया और ना ही शहीदों को न्याय दिलाया। केवल शहीदों के नाम पर राजनीति करते रहे।
नैनीताल युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अशोक बोहरा ने कहा कि आज हमारे लिए बड़े शर्म की बात है कि उन शहीदों को भुला दिया जिनकी कुर्बानी से उत्तराखंड राज्य का सपना साकार हुआ इसलिए हम तब तक इसे काले दिवस के रूप में मनाएंगे, जब तक शहीदों के सपनों का उत्तराखंड ना बन जाए और उन्हें न्याय ना मिल जाए। इस अवसर पर महेंद्र सिंह बिष्ट ,सार्थक कुमार , ज्योति नेगी आदि मौजूद रहे।
बताते चलें कि रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या, दुष्कर्म समेत संगीन अपराधों को मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए मृतकों के परिजनों व दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा और छेड़छाड़ की शिकार हुई महिलाओं के साथ ही पुलिस हिरासत में उत्पीड़न के शिकार आंदोलनकारियों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। साथ ही इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने के भी आदेश दिए थे।
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रामपुर तिराहा कांड समेत अन्य जगहों पर 7 सामूहिक दुष्कर्म, 17 महिलाओं से छेड़छाड़ और 26 हत्याएं की गईं। सीबीआई के पास कुल 660 शिकायतें की गई। 12 मामलों में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।