बरेली: कासगंज-टनकपुर मेला स्पेशल बेपटरी, चार घंटे चला बचाव कार्य

बरेली: कासगंज-टनकपुर मेला स्पेशल बेपटरी, चार घंटे चला बचाव कार्य

बरेली, अमृत विचार। तड़के करीब 3 बजे सिटी स्टेशन पर अचानक कासगंज-टनकपुर मेला स्पेशल ट्रेन के बेपटरी होने की सूचना रेलवे कंट्रोल रूम से मिली तो रेलवे के अधिकारियों में खलबली मच गयी। रेल अधिकारी, एनडीआरएफ से लेकर सिविल पुलिस और चिकित्सीय टीमें भी मौके पर पहुंच गईं। लाइन नंबर पांच पर खड़ी ट्रेन में …

बरेली, अमृत विचार। तड़के करीब 3 बजे सिटी स्टेशन पर अचानक कासगंज-टनकपुर मेला स्पेशल ट्रेन के बेपटरी होने की सूचना रेलवे कंट्रोल रूम से मिली तो रेलवे के अधिकारियों में खलबली मच गयी। रेल अधिकारी, एनडीआरएफ से लेकर सिविल पुलिस और चिकित्सीय टीमें भी मौके पर पहुंच गईं। लाइन नंबर पांच पर खड़ी ट्रेन में राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया।

कुछ देर बाद एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन भी वहां पहुंच गयी और घायलों को कोच काटकर बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू हुई। बचाव कार्य के दौरान कंट्रोल रूम से एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया। करीब चार घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर हाइ राइज रोप रेस्क्यू तकनीक से कोचों में फंसे घायल यात्रियों को बाहर निकाला गया। हादसे में दो यात्रियों की मौत होने के साथ नौ घायल भी हुए।

कासगंज से टनकपुर जा रही 09999 मेला स्पेशल को लोको पायलट मुन्ना चला रहे थे। इसके गार्ड केपी सिंह थे। गुरुवार तड़के 3 बजे कंट्रोल रूम से बताया गया कि बरेली सिटी यार्ड में लाइन नंबर 5 पर ट्रेन बेपटरी हो गई है। ट्रेन का पांचवा कोच 95483 (पेंट्रीकार) दोनों ट्रालियों से डिरेल हुआ है। सूचना पर मंडल रेल प्रबंधक आशुतोष पंत, अपर मंडल रेल प्रबंधक अजय वार्ष्णेय शाखा अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे।

मंडल चिकित्सालय के सीएमएस डा. अरुण खुन्नू ने अपने डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ घायलों को इलाज किया। कासगंज से दुर्घटना सहायता गाड़ी, लालकुआं से स्पॉट भी तत्काल हादसे वाली जगह के लिए रवाना की गयी। लखनऊ से एनडीआरएफ की टीम, जिला अस्पताल से एंबुलेंस, सिविल पुलिस, फायर ब्रिगेड, आरपीएफ कर्मी और सिविल डिफेंस के स्वयं सेवकों ने राहत बचाव कार्य किया। हालांकि, यह सिर्फ मॉकड्रिल थी, ताकि ट्रेन हादसे के दौरान कम समय में बचाव कार्य करते हुए यात्रियों को सकुशल बाहर निकाला जा सके। इसके साथ मॉकड्रिल से टीमों का रिस्पांस टाइम भी चेक किया गया।

मॉकड्रिल में घायलों व शवों को दिखाने के लिए डमी का प्रयोग हुआ
हादसे में पांच लोग गंभीर रूप से घायल हुए और नौ लोगों को मामूली चोटें आईं। जबकि दो की मौत होने की सूचना दी गई। जिनके शवों को बॉडी बैग में रखकर ले जाया गया। सुबह करीब 6 बजे ट्रेन को रीरेल किया गया। मॉकड्रिल में घायलों और शवों को दिखाने के लिए डमी का उपयोग किया गया।

डीआरएम बोले-यह एक फुल स्केल मॉक ड्रिल थी
मंडल रेल प्रबंधक आशुतोष पंत ने बताया कि यह एक फुल स्केल मॉक ड्रिल थी। एक कंडम कोच के अंदर यह मानकर काम किया गया कि इसमें कुछ यात्री फंसे हुए हैं। मकसद यही है कि भविष्य में कभी कोई रेल हादसा होता है तो टीमें कितनी तैयार हैं इसी को चेक करने के लिए मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। एनडीआरएफ और रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्य को किया गया। दोनों ही टीमों के काम करने की एक मानक प्रक्रिया है। बता दें कि एनडीआरएफ के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा के निर्देशन में पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल, बरेली सिटी टीम ने किसी भी प्रकार की रेल दुर्घटना होने पर खोज, राहत व बचाव कार्य के लिए मॉक अभ्यास किया गया।

मॉकड्रिल का पता चला तो हर किसी ने राहत की ली सांस
ट्रेन बेपटरी होने की सूचना पर लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी। रेलवे कालोनी, नेकपुर, सुभाषनगर, बंसीनगला से लोग आ गए। अधिकारियों ने बताया कि रेल हादसा नहीं, बल्कि माकड्रिल था। तब जाकर अधिकारियों और लोगों की जान में जान आई।

जंक्शन पर भी घनघनाने लगे थे अधिकारियों के फोन
पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल के सिटी स्टेशन पर मॉक ड्रिल चल रही थी तो कई जगह ट्रेन बेपटरी होने की सूचना फैल गई। उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल के बरेली जंक्शन पर भी अधिकारियों के पास स्थिति जानने के लिए फोन पहुंचने लगे। जंक्शन की सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि लोग फोन करके उनसे पूछने लगे कि ट्रेन कहां डिरेल हुई है। सुबह पता चला कि सिटी स्टेशन पर मॉकड्रिल की गयी।