उप-राष्ट्रपति चुनाव: NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का पेशेवर व सियासी करियर

उप-राष्ट्रपति चुनाव: NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का पेशेवर व सियासी करियर

कोलकाता। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सर्वसम्मति से देश के नए उप राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar) का नाम फाइनल कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसका औपचारिक ऐलान किया। उपराष्ट्रपति के तौर पर उनका नाम दोपहर से उस वक्त चर्चा में …

कोलकाता। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सर्वसम्मति से देश के नए उप राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar) का नाम फाइनल कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसका औपचारिक ऐलान किया। उपराष्ट्रपति के तौर पर उनका नाम दोपहर से उस वक्त चर्चा में आया था, जब उन्होंने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। कुछ समय पहले ममता बनर्जी ने परेशान होकर धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था।

राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव के किसान परिवार में जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को हुआ था। जाट परिवार में पैदा जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और राजनेता रहे हैं। उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गड़ से अपनी पढ़ाई की। राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी। जानकारी के अनुसार जब धनखड़ छठी कक्षा में थे, तब वह 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे। क्रिकेट प्रेमी होने के साथ-साथ उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी रहा है।

बीएससी (ऑनर्स) फिज़िक्स व एलएलबी की शैक्षणिक योग्यता वाले धनखड़ सुप्रीम कोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट व कई अन्य हाईकोर्ट में वकालत कर चुके हैं। लोकसभा सांसद व विधायक रह चुके धनखड़ 1990 में केंद्रीय मंत्री बने थे।

जगदीप धनखड़ 71 वर्षीय धनखड़ पिछले तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। जगदीप धनखड़ साल 1989 में जनता दल पार्टी के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुनू जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। साल 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

पश्चिम बंगाल में बतौर राज्यपाल सेवाएं देते हुए उन्होंने पीपुल्स गवर्नर के तौर पर अपनी पहचान बनाई। सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से राय को लेकर उनकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मतभेद भी कई बार सामने आए। एक बार तो ममता बनर्जी ने धनखड़ को ट्विटर पर ही ब्लॉक कर दिया। मामला इसी साल जनवरी माह का है। उस वक्त ममता ने कहा था कि वो उनके बार-बार ट्वीट से परेशान हो गई थीं।

टीएमसी ने इसी साल जनवरी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से धनखड़ को राज्यपाल पद से हटाने का अनुरोध भी किया था। पार्टी ने राज्यपाल पर कथित तौर से राजनीतिक हिंसा, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और प्रशासन के राजनीतिकरण को लेकर ममता बनर्जी प्रशासन पर हमला करने का आरोप लगाया था। वहीं टीएमसी ने हाल ही में सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद से राज्यपाल को हटाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पारित भी किया था।

एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर धनखड़ का नाम फाइनल करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। पीएम ने ट्वीट किया, श्री जगदीप धनखड़ जी को हमारे संविधान का उत्कृष्ट ज्ञान है। वह विधायी मामलों से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। मुझे विश्वास है कि वह राज्य सभा में एक उत्कृष्ट अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे।

सार्वजनिक जीवन से पहले धनखड़ एक सफल और पेशेवर अधिवक्ता रहे। राजस्थान विवि से एलएलबी की पढ़ाई के बाद उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवाएं दी। वह राजस्थान हाई कोर्ट में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। इससे पहले उनकी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल से हुई। चित्तौड़गढ़ से भौतिक विज्ञान में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

लोकसभा का चुनाव जीतकर केंद्र में बने मंत्री
वकालत करने के साथ ही वे सामाजिक गतिविधियों के साथ राजनीति से जुड़ गए। साल 1989 में वे भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत कर पहली बार संसद पहुंचे। अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे। तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की। वे केंद्र में मंत्री भी रहे। जनता दल के विभाजन के बाद वो पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खेमे में चले गए थे।

कांग्रेस से भी रहा है जगदीप धनखड़ का नाता
धनखड़ 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वह अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। वो राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे हैं। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए। उन्होंने जाट बिरादरी को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए जाट आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

बतौर राज्यपाल काफी चर्चा में रहा कार्यकाल
पश्चिम बंगाल में जब से वो राज्यपाल बने हैं उनके कार्यकाल की काफी चर्चा रही है। पिछले काफी समय से बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनके संबंध ठीक नहीं रहे। सरकार और राज्यपाल के बीच कई मौकों पर टकराव भी देखने को मिला। उनके नाम की घोषणा जब की गई उसी दिन वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी दिल्ली आकर मिले।

 

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