दो तरह का होता है गठिया आस्टियोआर्थराइटिस और स्यूमेटोइड

दो तरह का होता है गठिया आस्टियोआर्थराइटिस और स्यूमेटोइड

अमृत विचार, लखनऊ। आजकल की बदलती जीवनशैली व खानपान के कारण न सिर्फ मोटापा बढ़ रहा बल्कि गठिया की समस्याएं भी गंभीर बनती जा रही हैं। बढ़ती उम्र के साथ यह अपना असर दिखाने लगता है। सही से उपचार नहीं कराया गया तो 40 साल से अधिक उम्र में उठना-बैठना भी मुश्किल होने लगता है। …

अमृत विचार, लखनऊ। आजकल की बदलती जीवनशैली व खानपान के कारण न सिर्फ मोटापा बढ़ रहा बल्कि गठिया की समस्याएं भी गंभीर बनती जा रही हैं। बढ़ती उम्र के साथ यह अपना असर दिखाने लगता है। सही से उपचार नहीं कराया गया तो 40 साल से अधिक उम्र में उठना-बैठना भी मुश्किल होने लगता है।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है दर्द असहयीनय होने के साथ ही चलना-फिरने तक में असमर्थ हो जाते हैं। हालांकि यह बीमारी लाइलाज नहीं है, कुछ सावधानियां बरतकर गठिया से निजात पाया जा सकता है। अमृत विचार की टीम ने गठिया विशेषज्ञ नरेंद्र सिंह एडीशनल प्रोफेसर अस्थि विभाग केजीएमयू से इस बीमारी पर खास बातचीत की जिस पर बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सावधानियां व बेस्ट उपचार के बारे बताया।

प्रोफेसर नरेंद्र बताते हैं कि आर्थराइटिस एक बहुत सामान्य समस्या है। बदलते सामाजिक परिवेश में कई कारण इस समस्या को जन्म देते हैं। यह बीमारी शरीर के कई जोड़ों को प्रभावित कर सकती है, परंतु घुटनों एवं कूल्हों के जोड़ों में यह समस्या सबसे अधिक पाई जाती है। गठिया के मुख्यत: दो रुप होते हैं, ‘आस्टियोआर्थराइटिस और स्यूमेटोइड।

इस वजह से गठिया की संभावनाएं अधिक

जोड़ो में गम्भीर चोट, अथवा फैक्चर शराब-सेवन, सिगरेट सेवन, टी. वी., सोरियासिस की बीमारी एवम् स्टेराइड का सेवन करने से बीमारी की अधिक संभावनाएं रहती हैं। हमारे जोड़ो में कार्टिलेज नामक परत होती है, जो कि साइनोवियल द्रव्य के साथ जोड़ों में चिकनाई एवं लचीलापन उत्पन्न करती है। जोड़ों की कार्टिलेज व साझोवियत द्रव्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है जो कि आर्थराइटिस को जन्म देता है।

ऐसे शुरु होती है गठिया की समस्या

गठिया शुरुआत में जोड़ों में दर्द से शुरू होता है। उचित इलाज न कराये जाने के कारण यह दर्द बढ़ने लगता है। इसके साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ समस्या बढ़ने पर चलना फिरना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि कमर, कूल्हों, घुटनों में दर्द, जोड़ के लचीले पन में कभी मांशपेशियों में कमजोरी, जोड़ो का जाम हो जाना इसके सामान्य लक्षण हैं।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

1 वजन कम रखें। अधिक वजन में कूल्हों । घुस ‘ ऐडियों आदि जोड़ों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
2 नियमित कसरत से मांसपेशियों की ताकत बनाये रखें ।
3 नियमित समय पर डॉक्टर द्ववारा बताई गई दवा का सेवन करें।
4 आर्थोपेडिक सर्जन से नियमित समय पर परामर्श लेना उचित होता है। शुरुआत में दर्द के लिये दर्द निवारक दवाईयां लेनी पड़ती है।
5 हड्डी मजबूत करने के लिए दवायएं एवं उचित खान पान व जोड़ों हेतु कसरत एवं फिजियोथर्रायी आर्थराइ‌टिस में कारगर सिद्ध होते है ।
6 समस्या बढने पर एवं अत्यधिक दर्द, जोड़ के जाम हो जाने पर जोड़ों का प्रत्यारोपण कर सफल इलाल है।

केजीएमयू में सफल इलाज

डा. नरेद्र सिंह कुशवाद्य बताते हैं कि केजीएमयू में गठिया बीमारी का सफल इलाज है। इसके साथ ही जोड़ों का प्रत्यार्पण की सुविधा भी उपलब्ध है। शुरुआती दौर से ही लागतार उपचार करें तो समस्या गंभीर होने से पहले ही नियंत्रण पाया जजा सकता है। चूंकि अपनी चरम सीमा में बीमारी पहुंच गई तो जोड़ों का प्रत्यारोपण ही उपाय बचता है।

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